"सल्वेशन मतलब जौनपुर का मेदांता"
मेडिकल स्कैम:6- कैलाश सिंह 
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वाराणसी: इस एपिशोड में मेडिकल स्कैम के साथ पॉजिटिव पहलू भी दिया जा रहा है जिसे समझने में हर आम ओ खास को आसानी होगी. तस्वीर में दिख रहा शख्स ही डॉ. विवेक श्रीवास्तव हैं. इन्होंने ही वाराणसी- लखनऊ फोर लेन से एक किलोमीटर दक्षिण कन्धरपुर अपने गाँव के खेत में से लगभग दो एकड़ क्षेत्रफल में ट्रस्ट बनाकर अपने साथी नितिन सिंह को लेकर जौनपुर सिटी से करीब 10 किलोमीटर साउथ में पूर्वांचल का बेहतरीन अस्पताल बनाना शुरू किया है जो मेदांता और फोर्टीस सरीखे सुविधाओं से लैस है. अभी 30 बेड के इस अस्पताल में एक गार्डन है. दूसरे हिस्से में बड़ा पार्क सैकड़ों पेड़ पौधों से लैस हो रहा. बेहतरीन कैंटीन संचालित है. इसमें मरीज व तीमारदारों को भी सस्ते रेट पर दाल, दलिया और दाल के पानी के साथ भोजन भी उपलब्ध है. सामान्य मरीज पहले डरता है की कहीं भोजन, दवा, फीस, बेड आदि का खर्च वह वहन न कर पाए तो क्या होगा लेकिन ओपीडी व अन्य जांच का पर्चा बनवाते समय ही उसे एहसास हो जाता है की शहर के नई गंज के कथित कसाईखानों से यहाँ बहुत सस्ता है. अस्पताल के बाहर टूटी सड़क पर कोई दुकान भी अभी नहीं है लेकिन भीतर मेट्रो सिटी जैसी सुविधाएं हर किसी को मुरीद बना लेती हैं. बेड भरे रहते हैं ओपीडी में 100 से अधिक की संख्या हर दिन होती है. मरीज भी सिटी के अलावा शाहगंज, केराकत, मछली शहर, मदियाहूं, बदलापुर, सुल्तानपुर, आजमगढ़ आदि बाहरी इलाकों से बिना दलालों के सहयोग से आकर इलाज करा रहे.
डॉ विवेक कहते हैं की हमने बेहतरीन सुविधा वाला अस्पताल खोलने से पहले ही दलाली करने वालों से दूरी बनाए रखी जो कमीशन उन्हें दिया जाता है वही पैसे की छूट मरीज को मिलेगा  तो उसे मानसिक सुख जो होगा वह भी उसके स्वस्थ होने में कारगर भूमिका निभएगा. दवा कम और बेहतरीन डाइगनोसिस पर अधिक बल दिया जाता है. बाहर के मेडिकल स्टोर पर दवाओं में जो छूट मिलती है वही यहाँ भी है. यहाँ   तमाम बड़े अस्पतालों, मेट्रो सिटी से लौटने वाले मरीज भी आ रहे. इस अस्पताल को कार्पोरेट लेबल पर शुरू किया गया है. आयुष्मान कार्ड समेत विभिन्न कार्ड वालों को बेहतरीन सुविधा दी जा रही. देश के 17 अस्पतालों में साल्वेशन को भी एक्स आर्मी वालों के लिए चुना गया है. प्रबन्धन नितिन देखते हैं और डा विवेक हर मरीज को 15 मिनट से अधिक समय खुद देते हैं. विभिन्न रोगों के लिए विशेषज्ञ फोन कर बुलाए जाते हैं. खाँटी गाँव में ऐसे अस्पताल को चलाना बड़े जज्बे की जरूरत है जो दोनों युवाओं में नजर आता है. साल्वेशन अस्पताल व डॉ विवेक की मरीज देखते तस्वीर जुड़ी है. बॉक्स में पायथालजी के खेल की खबर-------
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____पर्चे पर ही होता है रिपोर्ट का रिजल्ट---
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विभिन्न जाँच के लिए नई गंज के कुछ अस्पतालों में दवा के स्कैम की तरह पायथालजी में भी खेल खुलकर होता है. इसे यूँ समझिये,,, तीन दशक पूर्व जब नौकरी पेशा लोग घर के लिए चलते थे तब रुपये भी पैंट की गुप्त जेब या धोती की टेंट भी बांधकर ट्रेन से कोलकाता, मुंबई, दिल्ली आदि से आते थे लेकिन उनके पीछे पाकेटमार होने का उन्हें एहसास भी नहीं होता था और एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन पर वे बिकते चले आते थे. पहला वाला दूसरे व तीसरे को रकम का अनुमान बताकर बेचता था. घर पहुँचने तक उनकी जेब कट चुकी होती थी. ठीक इसी तरह जाँच में क्या रिजल्ट देना है उसका कोड या फोन से कुछ स्लाटर हाउस संचालित करने वाले पहले ही बता देते हैं. बाहर से जाँच कराने वहीं भेजते हैं जहाँ से इनका कमीशन बंधा होता है. कुछ तो बनारस तक जाँच कराने भेजते हैं. क्योंकि उन्हें यहाँ की कुछ अच्छी लैब से कमीशन जो नहीं मिलता. जबकि इसी शहर में लाल पैथोलॉजी, एस आर एल, चरक, आदर्श  डाईगनानिष्टिक, शिवांगी  आदि में बेहतरीन जाँच सुविधा उपलब्ध है, नई गंज में डेढ़ दशक पूर्व एक विशेष पार्टी का कथित साइलेंट नेता ने अपनी डिग्री पर अस्पताल खोला और कुछ कथित व नए डॉक्टर का नेता बन बैठा. वह मरीज के परिजन की पहुँच व पावर देखकर ही भर्ती लेता है. यह एक खास जाति को ही अपनी तवज्जो देता है. जिले के तमाम दलाल इससे जुड़े हैं. क्रमशः