जौनपुर के नई गंज में है मेडिकल स्कैम का लीडर
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मेडिकल स्कैम - 7- कैलाश सिंह 
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- ये पीजी कॉलेज कैंपस में ही चलाता है पैरा मेडिकल, नर्सिंग कॉलेज. न लैब है और न ही मानक अनुसार टीचर. कागज़ के पेट भरा रखता है.
- नई गंज के आवासीय क्षेत्र में खोला है चिकित्सा की दुकान, पैसे के बल पर अग्नि शमन, पर्यावरण की ले ली एन ओ सी.
- इसके अस्पताल के मेडिकल स्टोर को चलाने वाला रिश्तेदार फर्जी डिग्री में एक कॉलेज से हो चुका है बर्खास्त, उसी का बेटा एक कथित जातिवादी पार्टी के मुखिया को बताता है भगवान.
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वाराणसी. जौनपुर के नई गंज स्थित रेजिडेंशियल इलाके में एक दशक पूर्व बिना मानक के अस्पताल खोलने वाला एक चिकित्सक तत्कालीन समय की कथित पॉवरफुल पार्टी  का अघोषित स्थानीय मुखिया बन बैठा. दरअसल इसने अपने उस रिश्तेदार को दूसरे के फार्माशिष्ट  की डिग्री के मेडिकल स्टोर पर बैठा दिया जो खुद की फ़र्ज़ी डिग्री के चलते एक कॉलेज से बर्खास्त हो चुका था. इसी का बेटा उस डॉक्टर का दत्तक पुत्र के नाम से प्रचलित है. इसके घोटालों, फ़र्ज़ी कार्यों का लेखाजोखा अगली किश्तों में दिया जाएगा. इस एपिशोड में गिरोह के सिपहसालारों और दवा के नकली कारोबार आदि का जिक्र तफ़्सील से दिया जा रहा है. इसके साथ लगी फोटो 16 मई 2023 के अखबार की वह कटिंग है जिसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मन्त्रालय ने स्पष्ट कहा है की सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक मरीजों के लिए जेनरिक दवाएं ही लिखें. यदि ब्रांडेड दवा लिखे पाए गए तो सख्त कारवाई होगी. यही आदेश निजी चिकित्सकों पर भी देर सबेर लागू होगा. लेकिन मेडिकल स्कैम लीडर बने इस कथित फिजियशन और इसके गिरोह के लोग गैर ब्रांडेड यानी वह दवा कम्पनियाँ जिसे ये तथा इसके गिरोह के लोग सरकार को भनक लगे बगैर चलाते हैं या ऐसी ही कम्पनियों  की अन्य दवा संचालकों से सौदे करके मनमामने एम आर पी पर अस्पतालों के मेडिकल स्टोरों पर बेचते हैं. इन्हीं लोगों ने कोरोना काल जैसी आपदा में 150 रुपये के इंजेक्शन 1250 में भर्ती मरीजों को बेच दिया. ये धंधा बदस्तूर जारी है. 
इसके सहायक भी अपने कथित प्रोफेशन में फ़र्ज़ी हैं. वे भी अपने स्तर से जातिवाद का दांव खेलते हैं. पैसे के लिए ये चिकित्सक अपने समाज के लोगों का गला रेटने से बाज नहीं आता है. इसके साथ एक फ़र्ज़ी पत्रकार और दूसरा एक पार्टी का कथित नेता है. दो और जगलर हैं जिनमें एक डॉक्टर है और दूसरा बड़ा दलाल है. इनकी मीटिंग सुबह कचहरी और देर शाम गोमती पार के एक होटल में होती है. बैठकों में ये सब नकली व कथित ब्रांडेड दवाओं को खपाने और स्वास्थ्य एवं जिला प्रशासन का मुँह बन्द रखने के उपायों पर योजना बनाते हैं. प्रशासनिक जिम्मा तो फ़र्ज़ी पत्रकार का होता है. बाकी काम कथित नेता संभालता है क्योंकि मेडिकल स्कैम लीडर के भतीजे वाली सरकार जो नहीं है. दूसरा नेता भाजपा का नहीं है पर राजनीतिक होने के नाते सत्ता धारी दल के लोगों को खोजता है लेकिन मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में कोई फ़र्ज़ी सिफारिश के लिए नजदीक भी नहीं आता. ड्रग यानी दवाओं की क्वालिटी चेक करने वालों का मुँह ये पैसे की पट्टी से बन्द किए रहते हैं. फ़र्ज़ी पत्रकार तो जातिगत अधिकारियों को अपने सांचे में तुरन्त ढाल लेता है. ऐसे में आवासीय कालोनी में ये सब किसी दिन पटाखे की फैक्ट्री भी लगा लेंगे तो हैरत नहीं होगी. इनको अग्नि शमन व इनवायरमेंट के लिए एन ओ सी की चिंता नहीं रहती है. यही गोल नई गंज के अन्य कथित कसाई खानों को अपनी सरपरस्ती देती है. रही सही जुगाड़ बनाता है गोरखपुर- प्रयागराज हाईवे  पर आबाद भू माफिया. उसने भी ऐसे ही तरीके इस्तेमाल कर दुकान खोली है. क्रमशः