*मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाएं*
*विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया*
डॉ हरिनाथ यादव ने बताया कि
जब भी बात संपूर्ण स्वास्थ्य की होती है, तो ध्यान रखें इसमें मानसिक और शारीरिक दोनों सेहत को बेहतर रखने पर जोर दिया जाता है।
डॉक्टर हरि नाथ यादव कहते हैं, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं, इसमें से एक में भी होने वाली समस्या का असर दूसरे की सेहत को भी प्रभावित कर सकती है। कोविड- 19 महामारी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है। लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग इसपर ध्यान नहीं देते। फिजिकल और मेंटल हेल्थ एक ही सिक्के के दो पहलू की तरह हैं। किसी भी एक पहलू को नजरअंदाज करना दूसरे पहलू को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है। बड़े-बूढ़े से लेकर स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। तो इस समस्या को छिपाने की जगह उस पर ध्यान देने की जरूरत है। वरना आने वाले समय में स्थिति और बिगड़ सकती है।
डॉ हरि नाथ यादव का कहना है कि अध्ययनों में कई प्रकार की गंभीर और क्रोनिक बीमारियों जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप आदि के लिए भी तनाव-चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य विकारों को एक कारण माना गया है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर को तभी सेहतमंद और फिट रखा जा सकता है जब आप मानसिक तौर पर पूरी तरह से स्वस्थ होंगे। अध्ययनों में पाया गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद से मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में आश्चर्यजनक रूप से उछाल आया है। कम उम्र के लोगों में तनाव-चिंता और गंभीर स्थितियों में अवसाद की समस्या देखी जा रही है। महामारी ने मनोवैज्ञानिक तौर पर लोगों की सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
कोविड-19 के बाद बढ़े हृदय रोग और हार्ट अटैक के मामलों के लिए भी तनाव-चिंता को प्रमुख कारक के तौर पर देखा जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में वैश्विक स्तर पर लोगों को शिक्षित-जागरूकता करने और सामाजिक कलंक की भावना को दूर करने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ हरि नाथ यादव बताते हैं, हमारी दिनचर्या की कई गड़बड़ आदतों के कारण भी मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है। लोगों में बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता, स्क्रीन टाइम, नींद की कमी की समस्या के कारण मानसिक स्वास्थ्य विकारों में उछाल देखा जा रहा है। लाइफस्टाइल के अलावा आनुवांशिक रूप से भी इसका जोखिम हो सकता है।
डॉ यादव कहते हैं, सभी लोगों को मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, यह वैश्विक स्तर पर बढ़ती गंभीर समस्याओं में से एक है। अगर हम दिनचर्या में कुछ बातों पर ध्यान दे दें तो मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के साथ इसके कारण होने वाली कई प्रकार की शारीरिक समस्याओं के जोखिम को भी कम किया जा सकता है ।
डॉ हरि नाथ यादव ने बताया
पर्याप्त नींद न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। नींद की गुणवत्ता और अवधि को बेहतर रखकर तनाव-चिंता और अवसाद जैसे विकारों के जोखिम को कम किया जा सकता है
स्क्रीन टाइम को कम करें
मोबाइल-टीवी, लैपटॉप या अन्य किसी भी प्रकार के स्क्रीन पर अधिक समय बिताने की आदत मानसिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी को शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क और हार्मोन्स के सामान्य कार्यप्रणाली के लिए काफी नुकसानदायक पाया है। इसके अलावा विशेषज्ञ कहते हैं, सोशल मीडिया पर कम समय बिताने की कोशिश करें। सोशल मीडिया पर बढ़ रही नकारात्मकता आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
नियमित योग-व्यायाम बहुत आवश्यक
इस अवसर पर डॉ शुशील यादव, प्रतिमा यादव ,लालजी ,आशुतोष,शिव बहादुर, ब्यूटी आदि उपस्थित रहे।
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