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कलम होती है सबकी पर उससे निकले शब्द उसका करते हैं विभाजन:कैलाश सिंह। Don News Express

कैलाश सिंह की कलम से
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-कलम होती है सबकी पर उससे निकले शब्द उसका करते हैं विभाजन
- साहित्यकार और पत्रकार होते हैं एक-दूसरे के पूरक, दोनों देते हैं समाज को सन्देश।
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वाराणसी। देश की आज़ादी में कलम भी प्रमुख सहयोगी रही तभी तो महात्मा गांधी ने हस्त लिखित पर्चे का इस्तेमाल किया। आज़ादी से पूर्व उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने समाज को परतन्त्रता से उबारने और सामाजिक बुराइयों को मानस चेतन सतह पर लाने का काम किया। कलम ने हमेशा भ्रष्ट तंत्र को चेतावनी देने का काम किया। देश मे जब अपना तंत्र बना तब पत्रकारिता को भी एक स्तम्भ का दर्जा मिला। सात दशक में कलम की ताकत का क्षरण और उसकी उपयोगिता बदलती चली गई। इसी लिए इस आलेख का शीर्षक "मेरी कलम' दिया। विभिन्न समाचार पत्रों में सेवाएं देने के दौरान मैंने कलम रूपी ताक़त, स्वाभिमान को डिगने नहीं दिया। अब तो कलम रूपी सोच को सोशल प्लेटफार्म मिल गया तो मैंने अपनी कलम यहीं टेक दिया। 
आज़ सोशल मीडिया जहां हर स्तम्भ और तंत्र के सिर चढ़कर बोल रही है वहीं इसपर इस्तेमाल होने वाली कलम रूपी सोच, दृष्टि का चेहरा विकृत होता जा रहा है। कथित पत्रकार तो इस टॉप, तलवार से ब्लैकमेलिंग करने लगे हैं शायद इसीलिए समाचारपत्रों की अहमियत और उपयोगिता बनी हुई है। क्योंकि यह हर दिन नए दस्तावेज के रूप में उपलब्ध होता है। इसे लिखने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मेरी जरुतें हैं कम, तभी मेरे ज़मीर में है दम।

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