जौनपुर। सिविल सेवा परीक्षा 2020 के घोषित अंतिम परिणाम में जिले के छह मेधावियों ने यूपीएससी की परीक्षा में परचम लहरा कर जनपद के गौरव को बढ़ाया है। खुज्झी गांव निवासी कृष्ण कुमार सिंह 2018 के यूपीएससी की परीक्षा में आईपीएस बनकर पहले भी जिले का नाम रोशन किया है। इसबार देश 2020 की यूपीएससी की परीक्षा में देश में 24वंा तथा यूपी में दूसरा स्थान हासिल कर जिले का नाम एक बार फिर रोशन कर दिया। हलांकि जिले की बेटियों ने भी इस परीक्षा में परचम लहाराने में पीछे नहीं रहीं। चंदवक संवाददाता के अनुसार डोभी ब्लॉक के खुज्झी गांव निवासी कृष्ण कुमार सिंह के घर पर जब आईएएस में चयन होने की खबर मिली तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। बतातें चले कि वह इस समय हैदराबाद में प्रशिक्षण ले रहे थे। इनकी शिक्षा देहरादून में हुई है।वर्तमान में वसुंधरा गाजियाबाद में सपरिवार रहते हैं। पिता राम आसरे सिंह की मृत्यु हो चुकी है। वह गाजियाबाद में ही प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे। कृष्ण कुमार सिंह आइपीएस में चयन होने से पहले बैंक में ऑफिसर थे। दो बहने नेहा व स्वेता है। नेहा की शादी हो चुकी है। बचपन से ही मेधावी कृष्ण कुमार सिंह की इच्छा आईएएस अधिकारी बनने की थीं। बैंक में ऑफिसर व आईपीएस में चयन होने के बाद भी आईएएस परीक्षा की तैयारी जारी रखी।आईएएस बन देश की सेवा करने का व्रत पूर्ण हुआ।आईएएस में चयन की जानकारी मिलते ही घर पर रह रहे चचेरे भाई बबलू सिंह ने शुभचिंतकों को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया।कृष्ण कुमार सिंह के आइएएस में चयन होने पर प्राचार्य डॉ. प्रवीण कुमार सिंह, डॉ. राम बटुक सिंह, डॉ. नृपेंद्र सिंह, प्रबन्धक विनय कुमार सिंह, प्रधानाचार्य डॉ. जोखन सिंह,डॉ.नितेन्द्र सिंह सहित अन्य लोगों ने बधाई दी है। सुजानगंज संवाददाता के अनुसार स्थानीय ब्लॉक के बालवरगंज निवासी शालू सोनी पुत्री राधेश्याम सोनी का सिविल सेवा परीक्षा में चयन हुआ है। जिससे पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। शालू ने दिल्ली में रहकर बिना कोचिंग के तैयारी की थी। शालू ने हाईस्कूल में 92 प्रतिशत और इंटर मीडिएट में 91 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। शालू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने आदशर््ा गुरु ओम प्रकाश सिंह के निर्देशन में क्षेत्र के ही एक स्कूल से किया उसके बाद कक्षा छ: से इंटर मीडिएट तक की पढ़ाई मडि़याहंू स्थित नवोदय विद्यालय से पूरा किया और फिर कंप्यूटर साइंस से एनआईटी जम्मू से इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरा किया और गेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की।दो वर्ष से वह दिल्ली के मुखर्जी नगर से रहकर तैयारी कर रही थी। दूसरे प्रयास में उसने यह सफलता प्राप्त की। शालू सोनी का रैंक 379 है। उन्होंने अपने सफलता का श्रेय अपने माता पिता और गुरु जनों को दिया। उनको तीसरे प्रयास में यूपीएससी में सफलता मिली है। कहा कि खुद पर भरोसा रखते हुए यदि सही दिशा में पढ़ाई की जाय तो सफलता अवश्य मिलेगी। सिकरारा संवाददाता के अनुसार स्थानीय ब्लॉक के ककोहियां गांव निवासी कुंवर आकाश सिंह को 128वीं रैंक हासिल हुई है। उन्होंने यह सफलता ऑनलाइन पढ़ाई कर पाई है। 28 वर्षीय आकाश सिंह के पिता अरविंद कुमार सिंह जल निगम में इंजीनियर के पद पर लखनऊ में तैनात हैं। आकाश ने हाई स्कूल संेटला मैरिस कांवेंट स्कूल सुल्तानपुर में 94.4 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पास की थी। जबकि कानपुर से उन्होंने इंटरमीडिएड की परीक्षा 97.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किया था। आकाश ने आईटीआई खड़गपुर से बीटेक करने के बाद फ्लिपकार्ट कंपनी में बतौर असिंटंेट मैनेजर बंगलौर में तैनात थे। साथ ही दो बार यूपीएससी की परीक्षा में बैठे थे लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। 17 लाख सालाना के पैकेज की नौकरी छोड़कर लखनऊ अपने पिता के पास पहुंचे और यूपीएससी की तैयारी में जुट गये और आखिरकार उन्हें 2020 में सफलता हासिल कर लिया। आकाश ने बताया कि घंटों बैठकर पढ़ाई करने में उनका विश्वास नहीं है। उनका मानना है कि जितना मन करे उतना ही पढ़ना चाहिए। उन्होंने इसके लिए कोई कोचिंग भी नहीं की। इंटरनेट पर आनलाइन पढ़ाई कर पांचवे प्रयास में 122वीं रैक हासिल कर ली। अपनी सफलता का श्रेय पिता अरविंद सिंह व माता माधुरी देवी के साथ-साथ पूरे परिवार को देते हैं। वहीं मेहंदी गांव निवासी अच्छेलाल यादव के पुत्र सूर्यभान यादव दूसरे प्रयास में यूपीएससी 2020 की परीक्षा में सफल हुए। वे 488वी रैंक हासिल कर आईआरएस में चयनित हुए है। उनकी इस उपलब्धि पर मेहदी गांव में खुशी का माहौल है। सूर्यभान के पिता अच्छे लाल मुंबई के नाला सोपारा में रहकर क्लिनिक चलाते हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई में हुई है। बीएचयू के आई आई टी से बीटेक करने के बाद वे देश की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुट गए और दूसरे प्रयास में सफल हुए। सफलता का श्रेय अपने पिता व भाई को देते हैं।पिता के चार पुत्र व तीन पुत्रियों में वे पांचवे स्थान पर है। इनकी तीनो बहने चिकित्सक हैं। बड़े भाई मुम्बई के एक कालजे में प्रिंसिपल है तथा दो भाई मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं ।पूरा परिवार मुंबई में ही रहता है। इससे पहले मेहदी गांव के धर्मेंद्र यादव 1997 की परीक्षा में आईएएस में चयनित हुए थे। इन दिनों वे चेन्नई में कार्य रत हैं। यद्यपि सूर्यभान के पैतृक गाँव मे उनके परिवार का कोई सदस्य नहीं है फिर भी पूरे गाँव के लोग उनकी इस उपलब्धि पर खुश नजर आ रहे हैं। जलालपुर संवाददाता के अनुसार स्थानीय ब्लॉक के कुसाव गांव निवासी प्रभाकर सिंह ने पांचवी बार में यूपीएससी की परीक्षा में 650वीं रैंक हासिल की है। वे इस समय एआरटीओ गाजियाबाद में तैनात हैं। 30 वर्षीय प्रभाकर सिंह के पिता संतोष सिंह पेशे से किसान है जबकि मां पुष्पा सिंह गृहणी हैं। प्रभाकर ने हाईस्कूल की परीक्षा चंद्रिका सिंह इंटर कालेज भाऊपुर से 51 प्रतिशत अंक प्राप्त कर पास की थी। इंटरमीडिएट की पढ़ाई प्रेमबहादुर सिंह इंटर कालेज खलिसपुर वाराणसी से किया और 66 प्रतिशत अंक प्राप्त किया था। बयालसी डिग्री जलालपुर से उन्होंने स्नातक करने के बाद नेट, जेआरएफ और 2015 में सीआरपीएफ में असिंस्टेंट कमांडेट पद पर तैनात हुए। 2016 में नायब तहसीलदार, 2017 में एआरटीओ, 2018 में असिस्टेंट लेबर कमिशनर और 2020 में एसडीएम बने थे। प्रभाकर बताते हैं कि पहले वे दिल्ली में कोचिंग किये थे लेकिन यह सफलता गांव में रहकर बिना कोचिंग के हासिल किया है। मड़ियाहूं संवाददाता के अनुसार अढ़नपुर गांव निवासी सुप्रिम कोर्ट की अधिवक्ता आभा सिंह की बेटी ईशा सिंह ने भी यूपीएससी की परीक्षा में 191वें रैंक हासिल कर जिले का नाम रोशन किया। ईशा सिंह के पिता वाईपी सिंह महाराष्ट्र में पुलिस अधिकारी हैं। बंगलोर के नेशनल लॉ स्कूल से ग्रेजुएट करने से पहले ईशा सिंह ने लखनऊ और मुम्बई जेबी पेटिट एंड कैथेड्रल स्कूल से भी पढ़ाई की है, बचपन से ही मेधावी छात्रा रही ईशा का सपना भारतीय पुलिस सेवा में जाने का था, जो आज पूरा हो गया। एडवोकेट ईशा सिंह ने बताया कि बचपन से ही उनका सपना आईपीएस अफसर बनकर लोगों की सेवा करना था और अपने पिता वाई पी सिंह के नक्शे कदम पर चलना चाहती हैं जिन्हें लोग एक तेजतर्रार और इमानदार आईपीएस अधिकारी के रूप में जानते हैं। अपनी सफलता का श्रेय उन्होंने अपनी मां सुप्रीम कोर्ट क ी अधिवक्ता आभा सिंह को दिया। ईशा ने बताया कि उनकी मां कई रात जागकर उनकी तैयारी कराती थी और उनके मार्गदशर््ान के बिना यह सफलत हासिल करना नामुमकिन था। गौरतलब है कि आभा सिंह देश की जानी मानी मानवाधिकार कार्यकर्ता है।
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