एै काश आता कोई मसीहा, बचा लेता मेरे बेटे की जान
एक तरफ गरीबी की मार झेलता पिता, दूसरी तरफ मौत से जंग लड़ता इकलौता पुत्र
एक पखवारा पूर्व सड़क दुर्घटना में हुआ था जख्मी
मदद के बजाय डॉक्टर कर रहे शोषण,तीन लाख से ज्यादा कर चुका खर्च
 की पहल पर कार्रवाई शुरू,प्राईवेट हॉस्पिटल के चिकित्सक ने कहा करेगें रेफर जमा करे बकाया पैसा।
सै.हसनैन कमर "दीपू"
जौनपुर। कहते हैं गरीबी बड़ी बुरी बला होती है। इसकी मार झेलने वाला ही इसका अनुमान लगा सकता है। ऐसा ही एक पिता है जिसके सामने गरीबी दामन फैलाए खड़ी है और अस्पताल में बेटा मौत से जंग लड़ रहा है। किसी तरीके से तीन लाख रूपये खर्च करने के बाद जब कुछ नहीं बचा तो सिर्फ एक उम्मीद रह गई कि काश भगवान किसी फरिशते को भेज देता और वह आकर मेरे बेटे की जान बचा लेता। पिता फरियाद भी क्यूं न करे आखिर उसका पूरा वंश इसी बेटे पर टिका हुआ है क्यूंकि यही एकलौता बेटा उसके बुढ़ापे की लाठी और उसका नाम आगे तक ले जाने का जिम्मेदार भी है। हलांकि उसने मंत्री, डीएम तक गुहार लगाई लेकिन उसकी फरियाद सुनी गई पर फाइलों में आगे  बढ़ा दी गई। आखिरकार वह राष्ट्रीय सहारा की शरण में आया और सीएमओ डॉ.लक्ष्मी सिंह से वार्तालाप के बाद उन्होंने आनन फानन में ऐक्शन लिया तो निजी चिकित्सक ने किसी तरह उसे बीएचयू रेफर करने की बात कही। हलांकि चिकित्सक अपना चिकित्सा धर्म भूलकर पिछले एक पखवारे से न सिर्फ आर्थिक शोषण कर रहा था बल्कि पैसा न दे पाने की स्थिति में उसे अन्यत्र भी नहीं ले जाने दे रहा था। बात हो रही है नगर के कोतवाली थानांतर्गत कालीकुत्ती परमानतपुर निवासी हरिशंकर श्रीवास्तव व उनके इकलौते पुत्र अमित श्रीवास्तव की। जो बीते 28 मई को मध्य रात्रि डीजे की गाड़ी से गिरकर घायल हो गया था। आनन फानन में  उसे जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां से उसे बीएचयू रेफर कर दिया गया लेकिन हालत गंभीर देखते हुए पिता उसे आनन फानन में नगर के ही नईगंज स्थित शेखर कांति हॉस्पिटल के डॉक्टर रमितचंद्र सिंह के पास ले गया जहां उन्होंने ब्रोन हैमरेज बताकर तत्काल ऑपरेशन किये जाने की बात कही। साथ ही उपचार में करीब दो लाख रूपये तत्काल खर्च आने की भी बात कही। मरता क्या न करता पिता ने हामी तो भर ली और ऑपरेशन भी हो गया अगले दिन अस्पताल द्वारा दवा व ऑपरेशन की फीस दी गई तो उसे जमा भी कर दिया गया। धीरे धीरे ये रकम तीन लाख से ऊपर पहुंचा दी गई। अब जब उसके पास फूटी कौड़ी नहीं बची तो वह डॉक्टर से फरियाद करने लगा कि उसका बेटा होश में भी नहीं आया और पैसा भी खत्म हो गया है आप ही कुछ दया करें। आरोप है कि इसपर हॉस्पिटल संचालक ने कहा कि पहले अस्पताल का नब्बे हजार चुकता करो उसके बाद जहां मर्जी हो ले जाओ। हलांकि अस्पताल संचालक ने इस आरोप को निराधार बताया और कहा कि परिजनों ने रेफर करने की बात ही नहीं कही थी। जब इस संबंध में बूढ़े बाप ने डीएम अनुज कुमार झा से फरियाद की तो उन्होंने प्रार्थना पत्र को सीएमओ के पास भेज दिया। 13 मई को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार गिरीशचंद्र यादव के मीडिया प्रभारी मनीष श्रीवास्तव से पीड़ित बाप से मुलाकात हुई तो उन्होंने मंत्री जी से पत्र लिखवाकर पुन: डीएम से मदद करने का निर्देश दिया लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात वाला निकला। बुधवार को पीड़ित बाप ने राष्ट्रीय सहारा से फरियाद किया तो पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए सीएमओ डॉ.लक्ष्मी से इस संबंध में जानकारी मांगते हुए कार्रवाई के बारे में कहा गया जिसपर उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए एडिशनल सीएमओ डॉ.राजीव कुमार को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। आनन फानन में अस्पताल संचालक के यहां से राष्ट्रीय सहारा कार्यालय में फ ोन आया कि मरीज को डिस्चार्ज कर बीएचयू रेफर किया जा रहा है पर बकाया पैसा जमा करना होगा।। फिलहाल बेटा मौत से जंग लड़ रहा है और पिता एक उम्मीद पाले बैठा है कि अभी भी कोई न कोई आयेगा और बचा लेगा उसके बेटे की जान।