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गैर लाइसेंसी आरओ प्लांट निगल रहे शहर की कालोनियों का भू-जल।Don News Express

गैर लाइसेंसी आर ओ प्लांट निगल रहे शहर की कालोनियों का भू जल

फोटो---- आदर्श कालोनी नईगंज के एक मकान में लगे प्लांट का दृश्य।

जौनपुर। फिल्टर व मेडिकेटेड पेयजल के नाम पर 20 लीटर के केन में पानी मंगाने  का दौर एक दशक में इतनी तेजी पकड़ा कि लोग दूध को पीछे छोड़ इस पानी के दीवाने हो चले हैं। नतीजा यह हुआ कि बिना लाइसेंस के यह व्यवसाय बेहतरीन कुटीर उद्योग बन गया है। इस जिले के मुख्य शहर के अधिकतर इलाकों में भू जल खारा होने के चलते लोगों का झुकाव तेज़ी फिल्टर पानी की तरफ बढा। परिणाम स्वरूप तमाम कालोनियों का भू जल पाताल की ओर भागने लगा है। नगर पालिका और इसके जलकल विभाग आर ओ प्लांट लगाने वालों की तरफ नहीं झांकता क्योंकि उसके हाकिमों तक हफ्ता महीना लिफाफा बन्द पहुंच जाता है। विभाग के पास तमाम गैर लाइसेंसी आर ओ प्लांट की सूची तक नहीं है। 

ये आर ओ प्लांट जिस कालोनी में लगते हैं वहां से एक साल बाद जगह बदल दी जाती है। इसका कारण बनता है भू जल का पाताल की तरफ रुख करना। इसके संचालक 100 से 200 मीटर दूरी पर वह मकान या स्थान खोजते हैं जहां बोरिंग करके सबमर्सिबल लगाया जा सके। फिर एक साल बाद स्थान परिवर्तन का सिलसिला कायम रहता है। बानगी के तौर पर शहर के पालीटेक्निक चौराहे से 200 मीटर की दूरी पर गोरखपुर- प्रयागराज को जाने वाले हाइवे के उत्तरी छोर पर नई गंज में अवस्थित आदर्श कालोनी हैं। इस कालोनी में सैकड़ों घर हैं। यहीं एक मकान में बीते छह माह से एक आर ओ प्लांट चल रहा है। इसके आसपास के घरों में लगे हैंपम्प व सबमर्सिबल पानी देने में फेल होने लगे हैं। इससे पूर्व यह प्लांट इसी कालोनी में 200 मीटर दूर लगा था। जब वहां का भू जल स्तर सूख गया तब संचालक ने नया ठिकाना तलाश लिया। अब यहां दिक्कत बढ़ने लगी है तो वह अभी से नए ठिकाने की तलाश में लगा है। जब यहां नीचे ज़मीन का पानी सूख जाएगा तब वह निकल लेगा। हालत यह होने लगी है कि लोगों को कपड़े धोने व अन्य कार्य के लिए भी फिल्टर पानी अथवा नगर निकाय के सप्लाई का सहारा लेना पड़ रहा है।

लगभग यही हालत शहर की विभिन्न कालोनियों के बाशिंदों का  हो चला हैं। ये प्लांट जल दोहन के साथ 50 फीसदी पानी गटर में बहाते हैं। फिल्टर पानी के नाम पर कुछ चिकित्सक भी दुकानदारी कर रहे हैं। ढाई दशक पूर्व ड्राप्सी के नाम पर डराए गए उपभोक्ता रिफाइंड खाद्य आयल की तरफ झुके। अब पूर्वांचल से लेकर पीजीआई तक के चिकित्सक रिफाइंड से परहेज करने और शुद्ध सरसों का तेल कम मात्रा में खाने की सलाह देने लगे हैं। फिजिशियन व वरिष्ठ चिकित्सक डॉ  ए के सिंह गौतम बताते हैं कि मिलावटी तेल के खेल के चलते आमजन को बढ़े कोलेस्ट्रॉल जान जोखिम के कारण बन रहे हैं। उसी तरह वह दिन दूर नहीं जब चिकित्सक बोलेंगे की 200 फ़ीट गहरे से पानी देने वाले हैण्डपम्प शुद्ध जल के साथ उसमें तमाम मिनरल्स की मौजूदगी ही शरीर को स्वस्थ रखेगा। आज हालत यह हो गई है कि लगातार फिल्टर पानी पीनेवाला सामान्य पानी पीते ही बीमार पड़ जाता है।

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