स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्त ने मंगलवार को अपने रासमंडल आवास पर पत्रकारों से बातचीत में बताया कि हमारी संस्था प्रारम्भ से ही जौनपुर में नमामि गंगे योजना तहत बन रहे बेहद कम क्षमता के एसटीपी व अमृत योजना तहत डाले जा रहे सीवर कार्य में वित्तिय व तकनीकी भ्रष्टाचार की बात उठाई जा रही है। संस्था को उत्तर प्रदेश की ईमानदार योगी सरकार की माँ गोमती की स्वछता के प्रति कर्तव्यनिष्ठता पर पूर्ण विश्वास है, इसीलिए विभिन्न मौकों पर स्वच्छ गोमती अभियान द्वारा प्रत्येक बार जलनिगम कार्यदायी फर्म व उनके सनरक्षंदाताओं द्वारा किये गए भ्रष्टाचार से सरकार, जिला प्रशासन व आमजनमानस को पत्र व मीडिया के माध्यम से अवगत भी कराया गया है।
भ्रष्टाचार के इसी इसी क्रम में जलनिगम के उच्चाधिकारियों क्रमशः मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता, कार्यदायी फर्म व इन सभी के प्रभावशाली सनरक्षंदाताओं को मिलीभगत करोड़ों रुपये का एक और बड़ा भ्रष्टाचार कर लिया गया, दिनांक 30 दिसम्बर 2020 को मुख्य अभियंता द्वारा जौनपुर में एसटीपी कार्य में हो रही देरी को देखते हुए कार्यदायी फर्म पर 65,840=00 रुपये प्रतिदिन (लगभग 19.5 लाख रुपये प्रतिमाह) के हिसाब से पेनाल्टी तय की गई, जिसे तब तक चलना था जब तक कि कार्यदायी फर्म द्वारा तय सीमा के भीतर विभाग द्वारा अपेक्षित कार्य की गति व प्रतिशत न प्राप्त कर लिया जाए. इसी दौरान दिनांक 28 फरवरी को मीडिया को दिए। गए बयान में अधिशासी अभियंता जलनिगम द्वारा बताया गया कि फरवरी अंत में कार्यदायी फर्म को 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण करना था लेकिन अब तक केवल 20 प्रतिशत कार्य ही पूर्ण हो सका है, वर्तमान अगस्त माह में भी फर्म द्वारा अब तक अपेक्षित कार्य गति व प्रतिशत नहीं प्राप्त किया गया है, किन्तु विभाग द्वारा फर्म को किये गए छठवें बिल (दिनांक 22-2-21) के भुगतान में मात्र 15 दिन की पेनाल्टी 9,87,600 रुपये काटे गए, और सबको बताया गया कि धीरे धीरे यह पेनाल्टी प्रत्येक बिल से काटी जाएगी, जबकि फरवरी माह के भुगतान में ही फर्म के बिल से 48 दिन की पेनाल्टी लगभग (38 लाख रुपये) कटने थे, इसी क्रम में फर्म को किये गए अगले बिल के भुगतान दिनांक 24-5-21 में कार्यदायी फर्म की पेनाल्टी शून्य कर दी गयी जबकि अब तक फर्म पर जनहित में कार्य को देरी से करने के लिए लगभग एक करोड़ रुपये की पेनाल्टी लग जानी चाहिए थी,
उपरोक्त मामले में निरंतर एक के बाद एक भ्रष्टाचार सामने आते जा रहे हैं और ज़िम्मेदार लोगों द्वारा हर बार भ्रष्टाचार की बात को नकार दिया जाता है. पिछली बार 75 लाख के बैरिकेटिंग व टिमबरिंग मामले में भी जांच अब तक लंबित है, कोई संतोषजनक जवाब विभाग की ओर से न तो मीडिया को दिया गया न ही स्वच्छ गोमती अभियान को संस्था द्वारा पूर्व की भांति इस मामले को भी स्थानीय जिला प्रशासन, शासन के उच्चाधिकारियों व माननीय मुख्यमंत्री जी तक पहुंचाया जाएगा।
अब समय आ गया है कि सरकार की भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति को सार्थक करते हुए हम सभी एकजुट होकर इस भ्रष्टाचार का विरोध करें ताकि इस तरह के तत्व अपने व्यक्तिगत हित के चक्कर में उत्तर प्रदेश की ईमानदार सरकार व आमजनमानस को धोखा न दे सकें।
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