...तो धनंजय 18 साल पूर्व का इतिहास दोहराने को उतरेंगे निर्दल
2002 में सपा के तत्कालीन मंत्री श्रीराम यादव को हराकर रचा था इतिहास
1962 में जनसंघ का जलाया था दीपक, 89 में अंतिम बार जीती थी कांग्रेस
सै. हसनैन कमर दीपू
जौनपुर।
मल्हनी विधानसभा उपचुनाव का बिगुल बज चुका है और राजनीतिक दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। ऐसे में इस सीट पर बीते 18 वर्षों से संघर्ष करने वाले पूर्व सांसद धनंजय सिंह एक बार पुन: निर्दल प्रत्याशी के रुप में इतिहास दोहराने को मैदान में उतरेंगे।
गौरतलब है कि 2002 के तत्कालीन रारी विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह निर्दल प्रत्याशी के रुप में अपना नामांकन कर इस क्षेत्र में नया राजनीतिक समीकरण पैदा कर दिया था। धनंजय सिंह ने उस समय सपा सरकार के तत्कालीन मंत्री श्रीराम यादव को 13 हजार से अधिक वोटों से हराकर नया इतिहास रच दिया था। धनंजय सिंह को कुल 46 हजार 300 वोट मिले थे जबकि सपा प्रत्याशी के खाते में 33,311 वोट ही आया था। रारी फतेह करने के बाद धनंजय सिंह ने 2007 के विधानसभा चुनाव में पुन: जनता दल यू के टिकट पर 44,641 वोट पाकर सपा के लाल बहादुर यादव को परास्त किया था। 2009 में धनंजय सिंह बसपा के टिकट पर जब लोकसभा सदर सीट के सांसद चुने गये तो उन्होंने बसपा के टिकट पर अपने पिता राजदेव सिंह को विधायक बनाने का काम किया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में नये परिसीमन में रारी विधानसभा का नाम बदलकर मल्हनी हो गया, जिससे कई ऐसे नये गांव जुड़े जो नये जातिगत समीकरण को पैदा किया। ऐसे में जेल में रहते हुए धनंजय सिंह ने अपनी पत्नी को निर्दल प्रत्याशी के रुप में मैदान में उतारा था और उन्हें 50 हजार से अधिक वोट मिले थे हालांकि इस सीट पर पारसनाथ यादव 69,351 वोट पाकर विधायक चुन लिये गये थे और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 2017 के विधानसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने निषाद पार्टी से चुनाव लड़ा और 48,141 वोट पाकर वे दूसरे स्थान पर रहे। पारसनाथ यादव के निधन के बाद हो रहे इस उपचुनाव में एक बार फिर धनंजय सिंह निर्दल प्रत्याशी के रुप में अपना परचम लहराने को बेताब नजर आ रहे हैं। देखा जाय तो इस सीट पर विगत 18 सालों से धनंजय सिंह और सपा के बीच ही जंग होती नजर आयी है। सपा के कद्दावर नेता व राजनीति के धुरंधर कहे जाने वाले पारसनाथ यादव ने 2012 से इस सीट पर कब्जा कर रखा था। उनके निधन के बाद विरासत में मिले इस सीट पर लकी यादव अपना ताल ठोक रहे हैं, ऐसे में धनंजय सिंह आने वाले समय में अपने सियासी रणनीति से मल्हनी का रण फतेह करने में जुट गये हैं। देखा जाय तो बसपा, भाजपा व कांग्रेस ने भी जातिगत समीकरण देखते हुए अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिये हैं जहां कांग्रेस व बसपा ने ब्रााहृण चेहरे को तरजीह दी है वहीं भाजपा ने क्षत्रिय को टिकट देकर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है।
रारी विधानसभा क्षेत्र
1951 दीप नारायण वर्मा कांग्रेस, रामदास निर्दल
1957 रामलखन सिंह कांग्रेस, जंग बहादुर जनसंघ
1962 कुंवर श्रीपाल सिंह जनसंघ रामलखन सिंह कांग्रेस
1967 राजबहादुर यादव निर्दल दीप नारायण वर्मा कांग्रेस
1969 सूर्यनाथ उपाध्याय कांग्रेस राजबहादुर यादव बीकेडी
1974 राजबहादुर यादव बीकेडी सूर्यनाथ उपाध्याय, कांग्रेस
1977 राजबहादुर यादव जेएनपी सूर्यनाथ उपाध्याय कांग्रेस
1980 तेजबहादुर सिंह कांग्रेस अर्जुन यादव जपा
1985 अर्जुन यादव लोकदल राजेन्द्र कांग्रेस
1989 अरु ण सिंह मुन्ना कांग्रेस मिर्जा सुल्तान रजा जद
1991 मिर्जा सुल्तान रजा जद अरु ण सिंह मुन्ना कांग्रेस
1993 लालजी यादव जोगी बसपा मातासेवक उपाध्याय भाजपा
1996 श्रीराम सपा तेजबहादुर सिंह बसपा
2002 धनंजय सिंह निर्दल श्रीराम यादव सपा
2007 धनंजय सिंह जदयू लालबहादुर यादव सपा
उप चुनाव
1979 सूर्यनाथ उपाध्याय कांग्रेस, अर्जुन यादव
2009 में राजदेव सिंह बसपा, ओम प्रकाश दुबे सपा
एक निगाह में मतदाता
वर्ष 2020 कुल 3 लाख 62 हजार 362
पुरूष : एक लाख 88 हजार 993
महिला : एक लाख 73 हजार 354
अन्य : 18
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