मेडिकल स्कैम 2
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- इस एपिशोड के साथ लगी तस्वीर खांटी गाँव के अस्पताल की है लेकिन यहाँ सुविधाएं मेट्रो सिटी के मेदांता और फोर्टिश जैसे अस्पतालों जैसी हैं और चार्ज वहाँ से आधे से भी कम हैं. 
-जौनपुर शहर में एक डॉक्टर मेडिकल की दुनिया  के किंग यानी राजा हैं, जितना अन्य अस्पतालों में जेबकट होती है  उससे अधिक वह गरीब मरीजों को छूट करते हैं, शायद इसीलिए उनके मित्रों में एक ने उन्हें राजा की उपाधि दी है. वह सहज सुलभ लेकिन सबसे व्यस्त डॉक्टर हैं. नगर के पॉलिटेक्निक चौराहे के पास उनकाअस्पताल है.
- दूसरी तरफ जौनपुर शहर के नई गंज व वाजिदपुर इलाकों मे दवा के दुकान नुमा अस्पतालों की दशा कूड़ाघर और स्लाटर हाउस सरीखे हैं. मरीजों के परिजन भेड़ बकरियों की तरह पड़े रहते हैं. इन अस्पतालों के चिकित्सकों  से परिजन नहीं मिल पाते हैं क्योंकि उनके रुल्स एम्स से भी कड़े हैं. इनके मेडिकल स्टोर पर इनकी भी कम्पनियों, फ़ार्मेशियों की दवाएं भी दारू की दुकानों की तरह बिकती हैं.
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कैलाश सिंह
वाराणसी. पिछले एपिशोड में साउथ की फिल्म की कहानी के नायक पांच रुपये वाले डॉक्टर का जिक्र किया था उसमें कहा गया था की भारत में मेडिकल चेकअप स्कैम बन्द हो जाए तो सबका मुफ्त इलाज़ सम्भव है. उस स्टोरी में जौनपुर सिटी के जिस अस्पताल व चिकित्सक का जिक्र था वह तो यमराजपुरी का महज एक कारिंदा है. बाकी गिरोह के तमाम मेंबर शहर के नई गंज इलाके में प्रवास करते हैं. 
खबर के साथ जो तस्वीर है वह मेडिकल स्कैम का पॉजिटिव पहलू है समूचे पूर्वांचल के लिए. क्योंकि इसमें दो युवकों का हौसला, सेवा भाव, बेहतरीन फैसिलिटी, मेडिकल स्कैम से दूरी और मेट्रो सिटी के फाइव स्टार होटलों और मेदांता, फोर्टिश जैसे अस्पतालों सरीखी सुविधाएं 30 बेड के शुरुआती अस्पताल में हैं. जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर वराणसी- लखनऊ फोरलेन से एक किमी दक्षिण कन्धर पुर गाँव में स्थित है. यहाँ के युवा डॉ विवेक श्रीवास्तव और उनके साथी नितिन सिंह ने शाल्वेशन नामक यह अस्पताल एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में एक साल पूर्व शुरू किया, निर्माण और इलाज़ जारी है. पूर्वांचल के किसी भी जिले के लिए यह नज़ीर बनेगा. आईसी यू  में एक मरीज़ को एक कमरा, उसके परिजन के मिलने बैठने को अलग बेड, सोफासेट. सफाई इतनी की फर्श पर चेहरा चमके. तीमारदार व मरीज के भोजन को बेहतरीन कैंटीन. अस्पतालों के दो कैंपस में दो पार्क. ग्रीनरी इतनी की सरकारी पार्क उसके सामने फीके लगते हैं. मुख्य गेट पर हर धर्म का प्रतीक व सुबह- भजन का मधुर संगीत गूंजता है.इसे देखने के बाद लगा की ऐसे ही अस्पताल को ट्रामा सेंटर कहा जाता है. इसके अलावा मेडिकल की दुनिया के राजा का जिक्र इसलिए नहीं कर रहा क्योंकि उन्हें सभी जानते हैं. 
दूसरी तरफ अब यमराजपुरी सदस्यों के अड्डों के देखिए तो वह स्लाटर हाउस मालूम पड़ते हैं. वहां डीजीपी के आदेश और कानून का जिक्र पहले मिलेगा. अप्रशिक्षित स्टॉफ मरीजों के परिजनों को भेड़ बकरियों की तरह हांकता दिखेगा. बोर्ड पुलिस के आदेश लिखे मिलेंगे की मरीज, परिजन मारपीट, तोडफोड़ किए तो फलां धारा में सजा होगी. गन्दगी इतनी की कूड़ाघर शर्म करे. दवा काउंटर व पर्चा काउंटर पर मुस्तैद स्टॉफ आईसी यू में सफाई कम ढोंग ज्यादा करता मिलेगा. यह वार्ड ऐसा की एक बड़े कमरे में 12 से 16 बेड हैं. इसे क्या कहेंगे. स्टॉफ के व्यवहार कुत्ता हांकने वालों जैसे होते हैं. इनके यहाँ पोंटी चड्डा की कम्पनी का दारू प्रदेश भर की दुकानों पर जिस तरह बिकती थी उसी तरह इन ठेकेदारों के मेडिकल स्टोर पर इनके फार्मा की दवाएं महंगे दामों में बिकती हैं. एक दशक पूर्व अब दिवंगत पोन्टी चड्डा को सरकार ने प्रदेश भर के दारू सप्लाई का ठेका दिया था तो वह अपनी कम्पनी की दारू भी महंगे दाम पर बेचता था. उसी तरह यहाँ के अधिकांश डॉक्टर भी अपनी फर्मस्यूटिकल की दवाएं बेच रहे महंगे रेट पर. सरकारी अस्पतालों के दलाल व झोला छाप डॉक्टर इनके दामाद से बड़ा ओहदा रखते हैं. दवा कम्पनियों के ठेकेदार इनके अस्पताल, भवन निर्माण व बच्चों की पढाई से लेकर देस- विदेश भ्रमण की व्यवस्था तब करते हैं जब उनकी अधिक दवा बेचेंगे.विस्तृत अगले एपिशोड में..... क्रमशः