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वादों पर खरी नहीं उतरीं नगरपालिका परिषद अध्यक्ष।Don News Express

वादों पर खरी नहीं उतरीं नगरपालिका परिषद अध्यक्ष
पांच वर्षों में 39 वार्डों में नहीं हो सका सम्पूर्ण विकास,लोग परेशान
दो दशक से दिनेश टंडन के परिवार का नगर की सीट पर है कब्जा
अधिकांश मुहल्लों की सड़कें हैं खस्ताहाल,पेयजल की भी है समस्या

जौनपुर। स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर जहां जिला प्रशासन मतदाता सूची प्रकाशन कराने के साथ साथ सकुशल चुनाव संपंन कराने के लिए लगातार बैठक कर रहे हैं वहीं सभी राजनीतिक दलों के नेता भी विभिन्न नगरपालिका परिषद व नगरपंचायत के क्षेत्रों का दौरा कर अपनी जमीन संभालने में जुटे हुए हैं। बात अगर जौनपुर नगर  पालिका परिषद की करी जाये तो विगत बीस वर्षों से इस सीट पर दिनेश टंडन के परिवार का कब्जा बना हुआ है। लगातार तीन बार वे खुद नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव लड़कर बसपा के टिकट पर जीत चुके हैं तो वहीं 2017 के स्थानीय निकाय चुनाव में महिला सीट आरक्षित होेने पर उन्होंने अपनी पत्नी माया टंडन पर दांव लगाया और बसपा के टिकट पर वोह भी नगरपालिका अध्यक्ष चुनी गर्इं लेकिन इस बार अपनी सीट को बरकरार रखना इस परिवार के लिए इतना आसान नहीं जितना पूर्व में वे करके दिखा चुके हैं। बीते पांच वर्षों की अगर बात की जाये तो नगरपालिका परिषद के 39 वार्डों में विकास का जो दावा दिनेश टंडन व उनकी पत्नी माया टंडन जो कि अध्यक्ष पद पर आसीन हैं वो कर नहीं पार्इं। अधिकांश वार्डों में सड़क की हालत खस्ताहाल है तो वहीं सफाई के  नाम पर नाम मात्र का काम होता हुआ दिखाई पड़ा। पेयजल व्यवस्था की अगर बात की जाये तो अधिकांश समय स्वच्छ जल के लिए त्राहीमाम करती नजर आई। ये अलग बात है कि पूर्व अध्यक्ष दिनेश टंडन अपने पुराने लोगों के बीच जाकर तमाम तरह के कार्यों का वादा किया पर उनकी पत्नी माया टंडन द्वारा कार्य न होने से जनता में नाराजगी साफ देखी गई। ये भी दीगर बात है कि खुद नगरपालिका अध्यक्ष माया टंडन बहुत ही कम कार्यक्रमों में हिस्सा लेती हुई दिखाई पड़ी। पांच वर्षों में जनता उनके दर्शन के लिए तरसती हुई नजर आई। ज्यादातर कार्य उनके पति दिनेश टंडन ही देखा करते हैं। वार्ड नं 26 चकप्यारअली नगर का सबसे महत्वपूर्ण वार्डों में से एक है जहां शाही किला व हनुमान घाट जैसी ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं लेकिन इन इलाकों में भी सड़कों की हाल खस्ताहाल है। शाही किला से बलुआघाट से जाने वाली सड़क का निर्माण तो बीते सात वर्षों से हुआ ही नहीं जबकि ये एक प्रमुख आबादी वाला हिस्सा है। यह रास्ता सीधे बलुआघाट के रारकोट होते हुए गोमती नदी के तट की तरफ जाता है यहीं पर शिया व सुन्नी समुदाय का तकिया ऐतिहासिक कब्रिास्तान है  यहां पर भी अध्यक्ष माया टंडन की नजरे इनायत देखने को नहीं मिली। सड़क की हालत खस्ताहाल है तो जो लाइटें कब्रिास्तान में पूर्व सभासद शाहिद मेंहदी द्वारा लगवाई गर्इं थी वोह भी खराब पड़ी हुई हैं। वहां पर लगा हैंडपंप न जाने कब से खराब है पर न तो अध्यक्ष ने उसकी खबर ली न ही किसी अन्य सभासदों की नजर इस पर पड़ी जबकि यहीं पर लोग अपने परिजनों को दफनाने के लिए हमेशा आते जाते रहते हैं। कुछ ऐसा ही हाल ढालगर टोला, ताड़तला, उर्दु बाजार, सिपाह, चाचकपुर, भंडारी सहित अन्य स्थानों पर भी देखने को मिला है। ये बात सही है कि पूर्व के तीन कार्यकालों में दिनेश टंडन ने जनता के बीच में रहकर विकास का नया आयाम स्थापित किया था पर इस कार्यकाल में उनकी पत्नी माया टंडन ने लगता है पानी फेर दिया है। ऐसे में इस बार के चुनाव में जहां विपक्ष के निशाने पर दोनों पति पत्नी रहेगें वहीं लगातार दो चुनाव में कड़ी टक्कर देने वाली डॉ.चित्रलेखा सिंह व सपा की पूनम मौर्या व भाजपा नेतागण दिनेश टंडन के दो दशक के इस राज्य को समाप्त करने के लिए अभी से रणनीति बनाने में जुट गये हैं। ऐसे में अपना किला यह  परिवार बचा पायेगा सवाल उठने लगा है।

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