विश्व आत्महत्या निरोध दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित
जौनपुर। रोजमर्रा की भागम-भाग भरी जिन्दगी के चलते मनोविकार तेजी से समाज में अपना बैठ बना रहा है जिसके चलते लोग आत्महत्या भी कर रहे हैं। इससे हर उम्र व वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं। उक्त बातें विश्व आत्महत्या निरोध दिवस पर शनिवार को आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ न्यूरो फिजीशियन डा. हरिनाथ यादव ने कही। नगर नईगंज में स्थित श्री कृष्णा मानसिक रोग चिकित्सालय में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद मरीजों सहित उनके परिजनों के बीच डा. यादव ने लोगों को आत्मदाह निरोध के बारे में जागरूक किया। उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के अनुसार प्रत्येक 1 लाख की आबादी पर आत्महत्या करने वालों की संख्या 12 हो गयी है। हर उम्र में आत्महत्या के कारण अलग होते हैं। जैसे 5 से 17 वर्ष के बच्चों में आत्महत्या का कारण पढ़ाई में असफलता के चलते होता है। आजकल इण्टरनेट, मोबाइल, टीबी पर बढ़ती आपराधिक एवं हिंसात्मक कार्यक्रम, गेम्स आदि का बाल मन पर बुरा असर पड़ता है। डा. यादव ने कहा कि आत्महत्या से न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे समाज व देश की भी क्षति होती है। जागरूकता कार्यक्रमों द्वारा इस प्रवृत्ति को रोका एवं कम किया जा सकता है। आत्मदाह किसी समस्या का हल नहीं है। किसी समस्या पर शान्तिपूर्वक विचार करने के साथ परिजनों का सहयोग एवं मनोचिकित्सकों की सलाह लेकर इसे रोका जा सकता है। इसी क्रम में पूर्वांचल विश्वविद्यालय में आयोजित युवाओं में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्तिः रोकथाम में शिक्षकों की भूमिका विषयक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. हरिनाथ यादव ने आत्मदाह निरोध के बारे में जागरूक किया। इस दौरान काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के मनोविज्ञान विभाग के डा. तुषार सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकायाध्यक्ष प्रो. अजय प्रताप सिंह ने किया। इस अवसर पर डा. मनोज कुमार पाण्डेय, डा. जान्हवी श्रीवास्तव, डा. अन्नू त्यागी, डा. सुशील कुमार आदि उपस्थित रहे।
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