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दबंगों,माफ़िया के कब्जे में ज़मीन,प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती।Don News Express

माफ़िया का बदलता स्वरूप 38
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प्रदेश सरकार ने दबंगों, माफ़िया से सरकारी ज़मीन, तालाब मुक्त कराने का आदेश दिया, गरीबों की झोपड़ी, दुकान मकान पर आंच न आए यह भी कहा। गर्मी का पारा जितनी तेजी से ऊँचाई नाप रहा, उसी रफ्तार में भू-जल पाताल का रुख कर दिया, जल संचयन के माध्यम बने तालाब या तो कागज़ात में हैं या फिर दबंगों, माफ़िया के कब्जे में। तमाम जिलों के प्रशासन के सामने खड़ा हुआ दुविधा का संकट।
- जौनपुर जिला प्रशासन ने पिछले साल इन्हीं महीनों में खोजे दो हज़ार भू-माफिया, विस् चुनाव के चलते करवाई थी रुकी। संयोग देखिए जिस डीएम मनीष कुमार वर्मा ने महायोजना 2021के तहत जनपद को सुंदर, भू-माफ़िया मुक्त का सपना साकार करने, जेडीए बनाने, 600 करोड़ वसूली कर मॉडल जिला बनाने का तानाबाना बुना वह मौजूद हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरी पारी की शुरुआत ऐसे ही अभियान से कर रहे लेकिन शहर के प्राइम प्लेस वाजिदपुर से जेसीज चौराहे के बीच बची झील को भू- माफ़िया बिना डरे निगलते जा रहे। जिले भर के तमाम तालाबों पर भू-माफिया, दबंगों के कब्जे हैं। प्रशासन नौ दिन चले अढ़ाई कोस वाली तर्ज पर अभी प्रशासनिक न्यायालयों में सुनवाई कर रहा है।
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कैलाश सिंह
वाराणसी। वर्तमान योगी सरकार के शपथ ग्रहण से पहले ही ब्यूरोक्रेट्स शासन की मंशानुरूप खुद को ढालना शुरू कर दिए, लेकिन शिक्षा माफ़िया नहीं बदले तो योगी की बिजली गिरनी शुरू हो गई। यही हाल हाल बालू और पहाड़ से गिट्टी खनन में हुआ। योगी का हंटर चल रहा है और अफसर बुलडोजर लेकर दौड़ रहे हैं लेकिन जौनपुर के भू- माफ़िया जुगाड़ के भरोसे अड़े हैं। दूसरी सरकार में रहे एक दिवंगत मंत्री नाले पर बने रेन बसेरे को घर बना लिया। यह विरासत उनका कथित सुपुत्र संभाले हुए है। शहर में चांदमारी से लेकर वाजिदपुर, जेसीज चौराहा, ओलन्दगंज रोड, सिटी इलाके के गोमती तट को भू-माफ़िया निगले बैठे हैं और डकार भी नहीं ले रहे। झील की जलकुम्भी में खतरनाक जल जीव कीचड़ निगलकर कंक्रीट के भवन पैदा कर रहे। बीते सात दशक से सरकारी ज़मीन निगलने वाले राजतन्त्र के दौरान चुटकी बैनामा से शुरू हुए और अब तक सैकड़ों मालिकों ने इन ज़मीनों की तिज़ारत कर दी। खरीददार भी बदलते गए। इस बीच करोड़ों के भवनों में अरबों के व्यवसाय हुए और नोटिस की धमकी देकर तत्कालीन अफ़सर लाखों कमाते और तबादला होते गए।
इस जनपद के लिए किसी वरदान के तहत डीएम के रूप में मनीष कुमार वर्मा मिले जिन्होंने झील, पार्क, खुला क्षेत्र, गोमती किनारे की जमीनों को कबर बिज्जुओं के जबड़े में फंसी पुरानी फाइल खोज निकाली, हालांकि उनके मातहतों ने वैधानिक नोटिस देने के समय भी पिछले साल लाखों के पान चबा लिए।
आठ अप्रैल को जेसीज चौराहा से ओलन्दगंज की सड़क के दोनों तरफ सजीं दुकानों से अरबों का व्यवसाय करने वाले दुकानदारों को ज़मीन खाली करने की समयावधि के तहत चेतावनी दे दी है। दूसरी तरफ झील को निगलने में जुटे जल जीवों को नोटिस देकर संयुक्त मैजिस्ट्रेट की अदालत में सुनवाई को बुलाया जा रहा है। अधिकतर भू-माफ़िया एक मंत्री की तरफ चातक पंछी जैसे आस लगाए हैं लेकिन उन बेचारे के साथ भी बड़ा खेल हो गया। हालांकि उन्होंने चुनाव में लिए व कमाए पैसे रूपी नमक का हक अदा करने से इनकार नहीं किया है।
ऐसी ज़मीनों पर कब्जा जमाने वालों के बारे में जानिए। इनमें कथित पत्रकार, चिकित्सक, मैरिज लॉन, व्यावसायिक होटल, स्कूल कॉलेज चलाने वाले, इलेक्ट्रॉनिक , कपड़े के शो रूम, वाहनों के धंधों से जुड़े और मुख्तार अंसारी के गुर्गों ने तो शहर के चारो तरफ कब्जे जमाकर यूक्रेन में रूस की सेना को भी मात कर दिए हैं। इन्होंने सिने कलाकार राजेश विवेक का घर, ईसाई मिशनरी के स्कूल की ज़मीन, वक्फ बोर्ड की ज़मीन, यहां तक कि कब्रिस्तान भी नहीं छोड़ा है। इसके कुनबे में एक बजरंगी का शागिर्द रहा, अब मुख्तार की गोल में है। दूसरा सत्ताधारी दल में पदासीन है। और एक तो कॉम्बो है। वह मौका लगते ही पत्रकार, नेता, व्यापारी, दबंग बनने से जरा भी नहीं हिचकता। उसके प्रतिष्ठान पर गत वर्षों में मुख्तार की खातिरदारी दामाद से बढ़कर होती रही। यह बात समूचा जनपद जनता है।मुन्ना बजरंगी के मारे जाने के बाद उसकी काली कमाई से वह ज़मीदार बनने लगा। एक बिस्वा ज़मीन खरीदकर कई बीघे कब्जा करना इसका शगल है। एक पत्रकार तो ज़मीन लेकर बस छोड़े हुए है। वह जातिगत अफसर को शीशे में उतारकर खुद कमाते हुए उन्हें भी कमावाता है और अपनी ज़मीन को दूर से देखता है। वह भी जिस स्कूल में मास्टर है वहां कभी नहीं जाता, सब काम जुगाड़ से होता है। ऐसे कई और हैं जो शिक्षक रहते हुए पत्रकार वाला तमगा लेकर अफसरों के इर्दगिर्द मक्खियों सरीखे घूमते हैं। कहानी लम्बी हो रही, यहां हर बेरायटी के दलाल बहुत हैं। अब तो पोर्टल के नाम पर दलालों की संख्या बढ़ती जा रही। प्रोफेशनल पत्रकार पर्दे के पीछे होते जा रहे। क्रमशः,,,,

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