समीकरणों को साधने की कोशिश में पार्टियां
सै. हसनैन कमर दीपू
जौनपुर।
विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया आज से शुरू हो जायेगी बावजूद इसके अभी तक सदर विधानसभा सीट पर भाजपा को छोड़कर प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है। ऐसे में रोजाना सोशल मीडिया पर चर्चाओं का बाजार गरम रहता प्रत्याशी है। बुधवार की शाम तक सपा, बसपा व कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा में पार्टी इतना विलंब क्यों कर रही है। सूत्रों की मानें तो भाजपा के प्रत्याशी राज्यमंत्री गिरीशचंद्र यादव से टक्कर लेने के लिए तीनों प्रमुख राजनीतिक दल जातिगत समीकरण को देखते हुए एक दूसरे पर निगाहें गड़ाये बैठी हैं। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष फैसल हसन तबरेज ने बताया कि पैनल से यहां जिन नामों को भेजा गया
था उसपे चर्चा हाईकमान कर रहे हैं और एक दो दिन में नाम सामने आ जायेगा। अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र होने के नाते यहां से पार्टी द्वारा नदीम जावेद को पुनः प्रत्याशी बनाये जाने की चर्चा है तो वहीं विकेश उपाध्याय लोगों के बीच जाकर
सदर विधानसभा सीट पर केवल भाजपा ने ही उतारा है
सपा, बसपा व कांग्रेस की एक दूसरे पर है निगाहें
प्रचार कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी की अगर बात की जाये तो पार्टी के जिलाध्यक्ष लालबहादुर यादव ने बताया कि यहां से सभी उम्मीदवारों के नाम भेजे जा चुके हैं फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष की कोर कमेटी को लेना है जो किसी भी वक्त प्रत्याशी की घोषणा कर सकती है। चर्चाओं की मानें तो इस सीट पर मुस्लिम चेहरे के अलावा मौर्य समाज के प्रत्याशी
बनाये जाने की चर्चाएं लगातार बनी हुई हैं। ऐसे में बसपा भी फूंक फूंक कर कदम रखती हुई नजर आ रही है। बसपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यदि कांग्रेस व सपा मुस्लिम उम्मीदवार सदर विधानसभा से उतारती है तो वे किसी और समाज का प्रत्याशी मैदान में उतार सकती है। यदि समाजवादी पार्टी मौर्य समाज का प्रत्याशी इस सीट पर उतारती है तो पार्टी मुस्लिम चेहरे के रूप में सलीम खान को मैदान में उतार सकती है। अन्यथा वोह सपा, भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों की घोषणा के बाद जातिगत समीकरणों को देखते हुए अपने प्रत्याशी का फैसला करेगी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भाजपा को छोड़कर प्रमुख राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों के चयन को लेकर इतना समय क्यों लगा रही है। ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है अन्यथा बसपा महीनों पहले से अपना प्रत्याशी घोषित कर देती थी तो वहीं कांग्रेस व सपा अपने प्रत्याशियों के नाम चुनाव से काफी पहले कर चुकी होती थीं।
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