माफ़िया का बदलता स्वरूप 35
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- आयकर छापे वाली टीम ने शहर के दोनों सराफा कारोबारियों के घर भी खोद डाले।
-आईटी छापे के दौरान तीन दिन बंद रहीं दुकानें पर जांच अब भी जारी, सौ करोड़ से अधिक बेनामी सम्पत्ति मिलने के कयास।
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कैलाश सिंह
वाराणसी। जौनपुर के जिन दो सराफा कारोबारियों के दुकानों, मकानों पर बीती 31 जनवरी को आयकर विभाग के छापे पड़े उनके यहां फॉल सीलिंग, दीवारों आदि की खोदाई में 100 करोड़ से अधिक की बेनामी व काली सम्पत्ति मिलने के कयास हैं। दोनों में आपस में आपराधिक संरक्षण, ज़मीन कब्जेदारी, कई तरह के धंधों को लेकर प्रतिस्पर्धा भी चलती है। लेकिन अपने में इनका टसल नहीं रहता। एक का भाई रोज फ्लाइट से मुम्बई जाता है । दूसरे वाले को तो मुख्तार की सरपरस्ती है । उसके तमाम धंधों को संभालने वाले लड़के सीएम जैसी सुरक्षा रखते हैं और सफेद धंधों की आड़ में काली कमाई से अय्याशी करते हैं।
एक ने तो पांच साल पूर्व दूसरी सरकार के पसंदीदा अधिकारी को एक करोड़ और एक इनोवा कार गिफ्ट करके तकरीबन 10 बिस्वा ज़मीन कब्जा कर ली। ज़मीन एक ऑटो ड्राइवर यादव की है। मामला कोर्ट में है, दबंग कारोबारी को भरोसा है कि वह मुकदमा पैसे के बलपर जीत लेगा। करीब चार अरब की ज़मीन( मार्केट रेट) को उसने कुछ हजार के जेवर देकर फर्जी तरीके से गिरवी लिया था, पीड़ित के सौभाग्य से योगी की सरकार में अधिकारी कारोबारी भू माफिया से दूर रहे अन्यथा वैसी ही तमाम ज़मीने और फंसी होतीं गरीब ऑटो चालक की तरह तमाम लोग कचहरी दौड़ते रहते।
शहर के बाशिंदों की जुबानी दोनों के पास हजारों करोड़ की बेनामी सम्पत्ति है। वाहनों की एजेंसी, सफेद धंधे हैं।
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