गोरखपुर: भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में सारी अटकलों पर विराम लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए गोरखपुर शहर सीट का चुनाव किया है. उनकी उम्मीदवारी गोरखपुर शहर सीट से घोषित होने से पहले खूब चर्चा रही कि वह अयोध्या विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. योगी आदित्यनाथ अब गोरखपुर शहर से भाजपा के उम्मीदवार होंगे तो, 2002 से लगातार इस सीट पर जीतते आ रहे लोकप्रिय विधायक राधा मोहनदास अग्रवाल का क्या होगा? यह सवाल लोगों के मन में उठ रहा है.इस बीच अपना टिकट कटने पर राधा मोहनदास अग्रवाल ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है, 'मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं. पार्टी के निर्णय का स्वागत करता हूं.'' टिकट कटने के एक दिन पहले राधा मोहनदास अग्रवाल ने कहा था कि अगर भाजपा उनकी जगह किसी और को गोरखपुर शहर सीट से उम्मीदवार बनाती है तो उन्हें चिंता नहीं है. इस सीट से लगातार चार बार के भजपा विधायक ने कहा था, 'मैं कभी भी राजनीति छोड़ने को तैयार हूं. दूसरे राजनीतिक खेमे में जाने से बुरा कोई काम नहीं हो सकता.''राधा मोदनदास अग्रवाल ने रविवार को एक ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा, ''मानबेला खास में एक और पचास साला सीसीरोड का निर्माण अपनी उपस्थिति में करवाया. विधायक रहने या न रहने से सेवा प्रभावित नहीं होगी.'' खास बात यह रही कि अपने इस ट्वीट में आरएमडी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को टैग किया है. इसके अलावा कुछ पत्रकारों को भी उन्होंने टैग किया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोरखपुर शहर सीट पर बीते 33 वर्षों से भाजपा का कब्जा है.इन 33 वर्षों में गोरखपुर शहर सीट पर विधायक चुनने के लिए कुल 8 चुनाव हुए हैं, जिनमें 7 बार भाजपा और एक बार हिन्दू महासभा (योगी आदित्यनाथ के समर्थन से) के उम्मीदवार ने जीत हासिल की. वर्ष 2002 में इस सीट से डॉ. राधा मोहनदास अग्रवाल हिन्दू महासभा के बैनर तले चुनाव लड़े और जीते भी. तब भाजपा ने शिव प्रताप शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने बगावत करते हुए डॉ. राधा मोहनदास अग्रवाल को हिंदू महासभा के बैनत तले चुनाव लड़वाया था. बाद में योगी और बीजेपी के बीच सुलह होग गई और आरएमडी भी भाजपा में शामिल हो गए. तबसे वह लगातार इस सीट से जीतते आ रहे थे.राधा मोहनदास अग्रवाल पेशे से बच्चों के डॉक्टर (पीडियाट्रिशियन) हैं. उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) से एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की है. वह पांच साल बीएचयू में प्रोफेसर भी रहे. उसके बाद राधा मोहनदास ने नौकरी छोड़ दी और गोरखपुर आ गए. आरएमडी साल 1986 से ही गोरखपुर शहर में सामाजिक कार्य में लग गए और गोरक्षनाथ पीठ के काफी करीबी रहे. उनको योगी आदित्यनाथ के खास लोगों में गिना जाता था. साल 2017 में जब यूपी में भाजपा की सरकार बनी और योगी मुख्यमंत्री बने तो आरएमडी के मंत्री बनने की प्रबल संभावना थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उसके बाद से राधा मोहनदास और सीएम योगी के बीच मनमुटाव की खबरें आने लगी थीं.
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