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बहनों के सपनों को पूरा किया भारत सरकार ने।Don News Express

बहनों के सपनों को पूरा किया भारत सरकार ने।

अफगानिस्तान से लौटे मयंक को बहनों ने बांधी राखी
रक्षा बंधन पर बेसब्राी से कर रहीं थी मयंक की बहने इंतजार
मयंक बोले इन हालातों में घर सकुशल पहंंुचना सपनों जैसा

जौनपुर। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में फंसे जिले के लाइन बाजार थाना क्षेत्र के गोधना गांव निवासी मयंक सिंह सोमवार की सुबह जैसे ही अपने गांव में पहुंचे भारत माता की जय की नारों से पूरा गांव गूंज उठा। सबसे ज्यादा खुशी मयंक की दोनों बहनों को हुई जो रविवार को रक्षा बंधन वाले दिन से अपने भाई की कलाई में राखी बांधने को बेताब नजर आ रही थीं। बहन आकांक्षा सिंह व अपूर्वा सिंह ने अपने भाई की कलाई में राखी बांधकर अपना फर्ज पूरा किया तो वहीं मयंक की आंखों से आंसू खुशी के छलक उठे। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वोह आज अपनी बहनों के सामने सही सलामत मौजूद रहेगा। दोनों बहनों ने भारत सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि जिस तरह से इन कठिन हालातों में जान जोखिम पर डालकर मेरे भाई को सकुशल वापस भारत लाने में सरकार सफल हुई है उसे हम लोग कभी भुला नहीं सकते। गौरतलब है कि रविवार को काबुल से सी-17 भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से 168 नागरिकों को भारत लाया गया था। जिसमें से एक मयंक थे। मयंक के पिता सत्य प्रकाश सिंह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार को धन्यवाद दिया। राष्ट्रीय सहारा से खास बातचीत में बताया कि वे खान स्टील फैक्ट्री में बतौर महाप्रबंधक जुलाई 2017 में काबुल मंे तैनात हुए थे। उनकी तीन बहने व दो भाई हैं। रक्षा बंधन पर बहने उनका हमेशा इंतजार करती रहती थीं। इस बार हालात खराब होने के चलते वे जून में नहीं आ सके थे और जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो परिवार वालों को मेरी चिंता सताने लगी। पर उन्हें अपनी कंपनी के अधिकारियों व भारत सरकार पर पूरा भरोसा था कि वह सकुशल अपने देश भारत वापस लौट आयेगें। तीन दिन पूर्व जब टीवी न्यूज चैनलों पर तालिबानियों द्वारा डेढ़ सौ भारतीयों के अपहरण करने की खबर चलने लगी तो घर वाले और परेशान हो गये। उन्होंने बताया कि जब वे फैक्ट्री से काबुल एयरापोर्ट के लिए निकले तो बीच रास्ते में तालिबानियों ने उनकी गाड़ियों को रोककर एक सुरक्षित स्थान पर ले गये जहां पर उनके पास्पोर्ट व अन्य दस्तावेज की इंट्री करने के बाद उन्हें सकुशल एयरपोर्ट के अंदर दूसरे गेट से भेज दिया गया। आगे का काम वहां पर मौजूद भारतीय दूतावास के कर्मचारियों ने किया। जिससे आज वह सकुशल अपने वतन  लौट सके। मयंक ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तालिबान का चेहरा खौफनाक व क्रूर जाना जाता है ऐसे वे अब अपनी छवि बदलने के बेताब नजर आ रहे हैं। हालांकि भविष्य के गर्भ में क्या होगा यह कहना मुश्किल है पर इतना तो साफ है कि कुछ-कुछ बदला हुआ तालिबान नजर आ रहा है। यही वजह है कि तालिबानी विदेशियों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा रहे है। पर वहां की स्थानीय जनता में उनके क्रूर शासन का खौफ साफ दिखाई पड़ रहा है।

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