सरकारी ज़मीन की लूट, पार्क में मॉल शॉप
महायोजना 2021(5)
इसे कहते हैं अचल संपत्ति, लूट के बाद भी कागज़ और मौका नहीं छूटता
नोटिस देने लगा प्रशासन तब कब्जा करने वाले छोड़ने लगे पसीने
अब सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाले मंत्री तक दौड़ लगा रहे ताकि कुछ मिल सके राहत।
जौनपुर। कहावत है नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च। ये जनपद की झील में फिट बैठ रही। इसमें बड़े जल जीव तो लाखों लगाकर करोड़ों पैदा कर लिए। यहां तक कि इसी झील की कमाई से कई एकड़ के ज़मींदार शहर के दूसरे हिस्से में हो गए लेकिन छोटे भू-माफिया सिधरी बेचकर दशकों से सरकारी कारिंदों का पेट ही भरते आ रहे हैं। हम केवल बड़े भू माफिया को मिली नाटिस आमजन के सामने ला रहे हैं ताकि लोग जानें कि साढ़े छह दशक पूर्व की झील की नवैयत अब क्या है। उसी के तहत सरकारी पार्क की ज़मीन पर बड़े मॉल शॉप व अन्य शॉपिंग कॉम्प्लेक्स खुले हैं जहां रोज लाखों का वारा न्यारा हो रहा है।
यह सच ही है कि चल सम्पत्ति की लूट होने पर दोनों का पता जल्दी नहीं चलता लेकिन अचल संपत्ति वहीं रहती है और कागज़ में भी उसकी मौजूदगी कब्जा करने वाले को भू माफ़िया की श्रेणी में पहुंचा देती है। झील की ज़मीन चुटकी से लेने वाले उसकी नवैयत नहीं बदलवा पाए। करिश्माई लेखपाल ने कुछ अफसरों को मिलाकर ज़मीन लेने वालों से तब के समय से लेकर हाल के वर्षों तक खूब लूटा और उन्हें निश्चिंत रहने को कहकर खुद किनारा कर लिया। बाद में गाहे बगाहे जिस सरकारी कारिंदे को रकम की लत लगी वह नोटिस थमाकर वसूलता रहा।
अब जब वर्तमान जिलाधिकारी महायोजना 2021 के तहत शासन के निर्देश पर नियम कानून से नोटिस देने लगे तो लोग छटपटाने लगे। कोर्ट जा नहीं सकते लिहाजा पेनाल्टी या कम्पाउंड फीस देकर वैध भू स्वामी बनने को बेताब हो गए हैं। सूत्र बताते हैं कि शासन तक दौड़ लगाने वाले एक मंत्री के पास सिफारिश में लगे हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो शासन और प्रशासन जाने लेकिन यह तय है कि सभी भू माफिया को सरकारी रकम भरने से ज्यादा कई माननीय व दलालों का पेट भरना पड़ेगा जो ज़मीन की कीमत से ज्यादा पड़ेगा। ये जरूर है कि तब भू-माफ़िया का तमगा हट जाएगा और भवनों का मैप भी पास होने लगेगा।
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