जौनपुर ।धर्मापुर।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव के दिशानिर्देश पर कोरोना महामारी के दौर में पिछले साल मार्च 2020 से समाजवादी कुटिया के संचालक ऋषि यादव लगातार समाज-सेवा में लगे हुए हैं। जरूरतमंद और गरीब लोगों की सेवा को उन्होंने अपना धर्म मान लिया है। इस धर्म में वे सभी जाति-सम्प्रदाय के लोगों को एक नजरिए से देखने का काम कर रहे हैं। यह नजरिया ही समाजवादियों को अन्य विचारधाराओं के नेताओं से अलग पहचान कराता है।
ऋषि यादव जनसेवा के बदौलत जौनपुर जिला में ही नहीं, बल्कि कई प्रदेशों में अपनी पहचान बना चुके हैं। यह अलग बात है कि इनका कार्यक्षेत्र केवल जौनपुर है लेकिन इनके कामों से प्रेरित होकर जनसेवा करने वाले बहुत से युवा यूपी-बिहार में हैं।
कोरोना महामारी के कारण मार्च 2020 में हुए लॉकडाऊन में इन्होंने शुरू-शुरू में बाल्टे में दूध लेकर गांव-जवार में बांटने का काम किया था। उसके बाद आपदा प्रबंधन कानून को ध्यान में रखते यादव ने अपने खेत में ही गांव-ज्वार के गरीब और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए 'समाजवादी कुटिया' की स्थापना की। कुटिया में पढ़ने आने वाले बच्चों को नियमित दूध-बिस्कुट और मौसमी पौष्टिक आहार का वितरण किया जाता है।
लॉकडाऊन के दौरान ही ऋषि यादव ने पीछले साल गजना गांव के इम्तियाज़ अहमद नाम के मुस्लिम दिव्यांग परिवार को गोद लिया था जिसमे तीन सदस्य है और प्रण किया था कि जबतक कोरोना बिमारी से देश की स्थिति सामान्य नहीं हो जायेगी तबतक इस परिवार के खर्च हम देते रहेंगे।
ऋषि यादव हरेक पर्व-त्यौहार के शुभ अवसर दिव्यांग परिवार को नगद धनराशि और जरूरत की चीजें व अन्य खाद्य-सामग्री उपलब्ध कराते रहे हैं। ईद है। ईद के शुभ अवसर पर समाजवादी कुटिया जौनपुर के संचालक ऋषि यादव ने दिव्यांग परिवार के सभी सदस्यों को एक-एक सेट कपड़े, सेवई बनाने की सामग्रियों के साथ पांच हजार रुपए की नकद धनराशि प्रदान किये हैं।
ऋषि यादव ने ईद के अवसर पर सभी को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमें एक-दूसरे से गले मिलकर रहने की जरूरत है। यह समय ही ऐसा है कि एक-दूसरे के सहयोग के बिना जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है। यदि हम एक-दूसरे के प्रति संवेदनशील नहीं बनेंगे, सहयोग की भावना नहीं रखेंगे तो आम-अवाम की नैया डूब जायेगी। इंसानियत शर्मसार होगी। सत्ता और व्यवस्था में बैठे लोग तो चाहते ही हैं कि आप अपनी जिंदगी खोएं। इसलिए जरूरी है कि हम एकजुट होकर , उपद्रवी, अत्याचारी सरकार' को ज़वाब दें। कोरोना के दौर में सरकार की स्थिति से हम अवगत हैं। इसलिए जरूरी है कि हम एक-दूसरे के काम आएं।
और फिर ईद की तो विशेषता ही है- सब कुछ भुलाकर गले मिलना। कहा भी जाता है - 'मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना/हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा।' साथ ही हमें कोरोना महामारी से निपटने के उपायों को ध्यान में रखकर ही कोई पर्व-त्यौहार मनाना है।
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