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भोजपुरी फ़िल्म के लिए खपरैल का घर, मिट्टी का आंगन जरूरी: पवन सिंह।Don News Express








भोजपुरी फ़िल्म के लिए खपरैल का घर, मिट्टी का आंगन जरूरी: पवन सिंह
सै.हसनैन क़मर"दीपू"


"भोजीवुड के"दबंग"पवन हैं भाजपा के स्टार प्रचारक
इनके चाचा अजित सिंह हैं गुरु और पसंदीदा अदाकार हैं अजय देवगन व काजोल

गायकी से सिने पर्दे पर उतरे हो गए तीन दशक
एक्टिंग में अपोजिट कलाकार के साथ किरदार में उतर जाते हैं दबंग
जौनपुर। भोजपुरी के दबंग कहे जाने वाले सुपर स्टार पवन सिंह यूपी और बिहार की माटी को माँ का दर्जा देते हैं। वह कहते हैं कि भोजपुरी फिल्मों के लिए विदेशों के रिसार्ट या मॉल की लोकेशन नहीं, बल्कि खपरैल के घर, मिट्टी का आंगन, पकडण्डी जरूरी है। दूसरे देशों में रहने वाले निर्माता, निर्देशक यहां आकर खपरैल व मड़ई की लोकेशन पसन्द करते हैं। उसी में भाषा की मिठास फ़िल्म को तार मण्डल तक पहुंचाती है।
पवन सिंह इन दिनों सिराज ए हिन्द की धरती जौनपुर में मेरा भारत महान फ़िल्म की शूटिंग व्यस्त हैं। लगभग 150 फिल्मों में थ्रिलर, एक्शन, रोमांस, इमोशनल जैसे किरदार निभाने वाले इस स्टार की पसंद हैं अजय देवगन-काजोल और उनके किरदार। रोल मॉडल, गुरु, सबकुछ इनके चाचा अजित सिंह हैं। जब मिलने का मन होता है तो उन्हें देस-परदेस कहीं बहु बुला लेते हैं या खुद चल देते हैं।
पवन का जन्म कोलकाता में हुआ और शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई। इसी कारण सात साल की उम्र में चाचा अजित सिंह के गाए गाने की गुनगुनाहट शग़ल बन गई। हालांकि चाचा ने ही एक प्रोग्राम में लांच कर दिया। इसके लिए पानी के जहाज के पायलट पिता चाचा-भतीजे को लेकर नाराज भी हुए।
बिहार के आरा जिला स्थित जोकहरी गांव के कुलीन परिवार का यह किशोर गायन से युवा बना और तीन दशक पर किया। इसमें डेढ़ दशक फिल्मों का भी शामिल है। इस दौरान मन में राजनीतिक चस्का ऐसा लगा कि भजपा के स्टार प्रचारक बन गए। इसके लिए पश्चिम बंगाल से लेकर पंजाब तक जाना पड़ता है। पिछले चुनाव में किरण खेर के लिए पंजाब का दौरा किए।
इस तरह यह तो जाहिर है कि देर सवेर पवन सिंह राजनीति में वह भी भाजपा से आएंगे फिर भी भोजीवुड को नहीं छोड़ेंगे। यहां की मिट्टी, पानी और हवा में ही वह अपना जीवन मानते हैं।
भोजपुरी फिल्मों की दशा, दिशा, प्रगति के सवाल पर कहते हैं कि यही कसक बनी है कि कैसे बड़े बजट की फिल्में मिट्टी के आंगन से उठकर आसमान के तारों में शुमार हो। भोजपुरी की मिठास के बारे में कहते हैं कि यह भाषा संस्कार, आदर्श, प्रेम, अनुशासन और आदर भाव से करोड़ों लोगों को उनके परिवारों और समाज से जोड़े रखती है। कोई जो परदेस में भी रहता है तो भी भोजपुरी नहीं भूलता।
पवन पुरवइया फ़िल्म और इसके गाने के सवाल पर कहते हैं कि भइया बड़ी सरम लागत रहे। बताया मेरा असली नाम तो कृष्ण है लेकिन चाचा ने गायन के दौरान पवन रख दिया। इसी नाम पर बनी फिल्म में पुरवइया की मिठास शर्म में उलझ गए। एहसास तब हुआ जब लोगों ने तारीफ की।
दबंग नाम में कहीं ठाकुरशाही की झलक तो नहीं, किसने यह नाम दिया? जवाब मक्खन की तरह निकला कि मुझे पसंद करने वालों ने रखा। मुम्बई में लोगों ने पोस्टर लगाकर वॉलीवुड के दबंग से मैच कर दिया। लेकिन नए आर्टिस्ट भी तो डरते हैं। जवाब मिला कि शायद फिल्मी एक्शन का असर होगा या शरीर की बनावट। लेकिन मैं समझौता कहीं नहीं करता। नए कलाकारों को प्यार से किरदार में जीना सिखाता हूँ, फरेब नहीं करता। जो नहीं सीखना चाहता उससे दूरी बना लेता हूँ। क्योंकि मैं खुद भी हमेशा सीखता रहता हूँ। अमिताभ बच्चन कहते हैं कि मैं खुद सीख रहा हूँ।
कोई सपना के सवाल पर कहते हैं कि बड़े बुजुर्गों के लिए लायक बना रहूं और पूरब का विकास। खुद के लिए समय निकालकर जिम करनी पड़ती है ताकि दबंग नाम की सार्थकता बनी रहे। मेरा भारत महान फ़िल्म में गरिमा परिहार अपोजिट कलाकार हैं। वॉलीवुड में भी कम करूँगा पर निगेटिव रोल नहीं। इस होली पर सलीम सुलेमान के साथ संगम होली सांग आएगा। भोजपुरी को माँ बताया। अगली फिल्म स्वाभिमान है जिसकी शूटिंग प्रतापगढ़ में होगी। दो जमीदारों के बीच टकराव पर आधारित है।
भोजपुरी में अश्लीलता के सवाल पर कहा कि यह देखने में नहीं, गानों और डायलॉग के शब्दों के दोहरे अर्थ के चलते कुछ लोग मानते होंगे, जैसे दर्द को बत्थत बा। बताया कि मैं तमाम बार इमोशन का शिकार हो चुका हूं।

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