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बगैर सीएमओ को संज्ञान में दिए रजिस्टर्ड पैथालॉजी केंद्र को प्रशासन ने सीज किया।Don News Express

बगैर सीएमओ को संज्ञान में दिए रजिस्टर्ड पैथालॉजी केंद्र को प्रशासन ने सीज किया
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- शिकायतकर्ता पैथालाजिस्ट खुद के भुगतान को लेकर छोड़ चुके थे  डाइग्नोस्टिक सेंटर, स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल से नाम न हटने पर उन्होंने की थी शिकायत
- आदर्श डाइग्नोस्टिक सेंटर के संचालक की ओर से सीएमओ ऑफिस में दूसरे पैथालाजिस्ट का नाम जोड़ने और पुराने का नाम हटाने को बीते सितम्बर में ही दिया था

जौनपुर। सरकारी महकमे से चूक  या कार्य को लटकाए रखना आम बात है। शनिवार को वाजिदपुर में जिस आदर्श डाइग्नोस्टिक सेंटर को अवैध या फर्जी बताकर सिटी मजिस्ट्रेट ने सीज किया, वह पहले से ही रजिस्टर्ड है। मेडिकल स्टोर संचालन के लिए जैसे फार्मासिस्ट का होना अनिवार्य है उसी तरह पैथालॉजी सेंटर के लिए पैथालाजिस्ट चिकित्सक जरूरी है। यहां स्वास्थ्य विभाग के पोर्टल से सेंटर छोड़ चुके चिकित्सक का नाम नहीं हटाया गया था जबकि संचालक ने सितम्बर माह और पूर्व पैथालाजिस्ट डॉ आशीष कुमार चट्टोपाध्याय ने बीते अगस्त माह में ही सीएमओ और डीएम को नाम हटाने को भेज दिए थे। फिर भी पोर्टल पर उनका नाम चल रहा था।
स्वास्थ्य विभाग के इस पोर्टल पर वैध चिकित्सकों के नाम रखे जाते हैं। जोड़ने या हटाने के लिए डीएम व सीएमओ की अनुमति जरूरी होती है। इसके अलावा किसी भी नर्सिंगहोम, पैथालॉजी सेंटर पर प्रशासन तभी कार्रवाई के सकता है जब सीएमओ या उनके द्वारा नामित ए सीएमओ साथ मे रहे। जिले में भू माफिया से वसूली किस तरह प्रशासन कर रहा है यह जगजाहिर है। 
शनिवार को सिटी मजिस्ट्रेट आनन फानन में वाजिदपुर स्थित आदर्श डाइग्नोसयिक सेंटर पहुंचे और ताबड़तोड़ सेंटर को सील कर दिया। यही बात हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ सुभाष सिंह ने पूछा कि सील करने का कारण बताइए तो वह भड़क गए। सीएमओ की जानकारी में होने की बात पूछी सो कहा मैं किसी को नहीं जानता। मैं शिकायत पर कार्रवाई कर रहा हूँ। बाद में जब गलती का एहसास हुआ तो ए सीएमओ डॉ राजीव यादव को मौके पर बुला लिया और उनकी मौजूदगी में सील किए जाने की बात दर्शा दी। मीडिया से बातचीत में किसी संगठन का नाम लेकर धौंस देने की बात भी डॉ सिंह पर मढ़ दी।
इससे पूर्व यही सिटी मजिस्ट्रेट गुटखा की दुकान, एक और अस्पताल के अलावा एक होटल पर भी धमके थे लेकिन वहां क्या कार्रवाई की यह मीडिया को नहीं बताया जबकि प्रत्यक्षदर्शियों ने फीलगुड होने की चर्चा की। रहा सवाल एफआईआर की तो उसके लिए ठोस आधार चाहिए। सेंटर में टेक्नीशियन होने की बात खुद स्वीकारी है। डॉ सिंह भी इस मामले को शासन तक ले जाने का मन बनाया है।

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