डॉ.इरफान खान ने दुर्घटना में घायल एक मरीज की बदल दी जिंदगी
पैर काटने की सलाह से परिजन थे परेशान, ऑपरेशन के बाद चलने लगा मरीज
जौनपुर। कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है नगर के सिपाह स्थित किज हॉस्पिटल के निदेशक डॉ.इरफान खान ने। जिन्होंने अपने अनुभव के आधार पर न सिर्फ एक इंसान को जिंदगी भर अपाहिज की जिंदगी जीने से रोका बल्कि उसे अपने पैरों पर चलाकर उसकी जिंदगी में नई रौशनी ला दी है। डॉक्टर के इस कदम से जहां उस नवयुवक के परिजनों की आंखों में खुशी की चमक दिखाई दी तो वहीं लोग ये कहते दिख रहे हैं कि धरती पर कुछ भी असभंव नहीं है बस सही स्थान पर पहुंचने की देर है। दो महीना पूर्व नगर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र के चौकिया निवासी कमल यादव का एक सड़क हादसे में दाहिना पैर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। उनके पैर की हड्डी टूटने के बाद मांस भी अलग हो चुका था ऐसे में एक डॉक्टर ने किसी तरह रॉड लगाकर उसका ऑपरेशन किया था लेकिन जब वह ठीक नहीं हो रहा था तो वह किसी तहर किज हॉस्पिटल में अपनी सारी रिपोर्ट के साथ डॉक्टर इरफान खान से मिला। डॉक्टर इरफान खान ने इस केस को विशेष तौर पर स्टडी करने के बाद दोबारा ऑपरेशन करने क ी सलाह दी जिसके बाद कमल यादव का ऑपरेशन किया गया। डॉक्टर इरफान खान ने बताया कि उनके पैर की हड्डी 20 सेंटीमीटर गायब थी और स्थिति काफी खराब होने के चलते उन्होंने लिंब सॉल्वेज व इलाजोरोविंग फिक्सेशन लगाकर एक प्रयास किया। आखिरकार दो महीने के अधिक परिश्रम व दवा इलाज के बाद कमल यादव जब धीरे धीरे चलने लगे तो उनके परिजनों की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे और खुश भी क्यों न होें क्योंकि कई बड़े हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उनके पैर काटने की सलाह दी थी। आखिरकार डॉक्टर इरफान खान उनके लिए किसी देवदूत से कम नहीं साबित हुए और न सिर्फ बीस सेंटीमीटर टूटी हुई हड्डी गायब होने व तीस सेंटीमीटर मांस न होने के बावजूद भी ये ऑपरेशन सफल रहा और वह अपने पैरों पर खड़ा होकर जिंदगी को आगे बढ़ा सकता है। फिलहाल कमल यादव धीरे धीरे अपने पैरों पर चलना शुरू कर दिया है और परिजन डॉ.इरफान खान का शुक्रिया अदा करते नजर आ रहे हैं।
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