माफ़िया का बदलता स्वरूप 40
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-ये एपिशोड माफिया के विभिन्न रूपों का डेमो है।
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- जौनपुर शहर में 18 बीघे में फार्म हाउस, पायेगा प्रदेश में पहला स्थान।
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कैलाश सिंह
वाराणासी। यह एपिशोड जौनपुर के बहाने समूचे प्रदेशकी पल्सरेट का संकलन है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भ्रस्टाचार के दलदल में धँसे परिवहन विभाग में एमडी के पद पर संजय कुमार को तैनात कर दिया। इस अफसर ने हफ्ते भर में विभाग में भ्रस्टाचार रूपी काई को साफ कर दिया। लगभग 22 करोड़ के स्कैम में एक बड़े अफसर व आधा दर्जन छोटे अफसरों को नाप दिया। नपा बड़ा मगरमच्छ तो जहर खाकर जान दे दिया। बाकी विभाग के पानी में अब काई साफ यानी प्रदेश की राजधानी से लेकर बलिया (उदाहरण) तक बसों की जांच का धंधा बन्द हो गया। ड्राइवर तेल बेचना और कंडक्टर लगेज के नाम पर पैसा कमाना बन्द कर दिए। वर्कशाप में उपकरण के नाम पर फर्जी बिल बाउचर भी रुक गया है।
अब आइए जौनपुर में। यहां खुले व पार्क की ज़मीन पर पक्के भवन बनाकर अरबों का कारोबार हो रहा है। एक अधिकारी का तबादला रुकते ही डीएम ने उसे ज़मीन में जिले का मालिक बन दिया। यहां के भू माफिया यही चाहते भी थे। एक माफिया तो केवटों निषादों को दवा दारू पिलाकर शहर में ही लगभग 18 बीघा जमीन अपने व कुनबे के नाम कर ली। अब उस जमीन पर फार्म हाउस बन रहा है। आम समेत सभी हरे पेड़ बाग़ काट दी गई। इसमे प्रशासन व वन विभाग भी मिला है। यह फार्म हाउस प्रदेश में पहले स्थान पर होगा जो शहर के बीचोबीच होने के चलते गिनीज बुक में स्थान पा सकता है।
आयुष्मान कार्ड वितरण में उन निजी चिकित्सकों को शामिल किया जा रहा है जो कोरोनाकाल में आपदा को अवसर मानकर टँगारी से चांदी की सिल्ली काटे थे। जांच का शोर भी लो बैटरी में थम गया।
एक पत्रकार हैं यशवंत कुमार उनकी सिरकोनी में लबे रोड ज़मीन को हाइवे निर्माण के दौरान तत्तकालीन सीआरओ व उस समय के डीएम ने सरकारी बताकर उन्हें मुआवजा से वंचित कर दिया। वह पिछले 100 दिन से डीएम कार्यालय के सामने धरना दे रहे हैं। वर्तमान डीएम मनीष कुमार वर्मा ने दिए आदेश में स्वीकार कर लिया पर अभी सीआरओ लटकाए हैं।
दूसरी तरफ शहर के कई सराफा कारोबारी अपने नए तरीकों से लूट रहे हैं। जिनमे वह दोनों जिनके यहां आठ माह पूर्व आयकर का छापा पड़ा था वे प्रमुख हैं। फ़ूड सेफ्टी विभाग तो महीना हफ्ता बढ़वाने को जांच करता है। सेम्पल लैब में भेजने के नाम पर धंधा चलता है। क्यों नहीं अपने उपकरण से तुरन्त जांचकर कार्रवाई करते। ऐसा करँगे तो हफ्ता बन्द। शहर में ज़मीनों पर भवन निर्माण का मैप रुपये के दम पर पास होता है। जब राजधानी पैसा भेजना नहीं है तो आखिर किस बल पर यह लूट मची है। पुलिस महकमा गाहे बगाहे छुटभैये अपराधियों पर मुकदमों की गदहलदान करके हत्या करता है और एनकाउंटर के नाम पर बेहतर पुलिसिंग दिखाता है। बड़ा अफसर तो खबरों में वर्जन देने के नाम पर पत्रकारों से बात ही नहीं करता। रोडवेज के अफसर एमडी संजय कुमार के तबादले को दो करोड़ लेकर एक नेता के पास गए लेकिन नेताजी ने कान पकड़कर कहा नहीं, वह सीएम की निगरानी में है। समूचा लेखाजोखा अगली कड़ियों में,,,,,,,,,,,,क्रमशः
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