दिलो दिमाग से सबकुछ निकाल रखा है, तुम्हारे नाम की तावीज डाल रखा है
मुशायरे और कवि सम्मेलन में पूरी रात झूमते रहे श्रोता
शाहगंज। क्षेत्र के मजडीहा स्थित एक पैलेस में बुधवार रात शेरो सुखन की महफिल सजी। कवि सम्मेलन और मुशायरे में देश प्रदेश से आए कवियों और शायरों ने अपनी रचनाएं पेश कर श्रोताओं का दिल जीत लिया। अदब की महफिल में गंगा जमुनी तहजीब की साझी विरासत की झलक भी देखने को मिली। जहां शुरुआत में हिंदू कवि ने नाते पाक और मुस्लिम शायर ने सरस्वती वंदना का पाठ किया।
गुरुवार भोर तक चले कवि सम्मेलन और मुशायरे में देश प्रदेश से आए कवियों और शायरों का जमावड़ा रहा। संचालन शंकर कैमूरी ने किया। इसके अलावा हाशिम फिरोजाबाद ने दिलो दिमाग से सबकुछ निकाल रखा है, तुम्हारे नाम की तावीज डाल रखा है नज़्म सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। अज्म शाकरी लाखों सदमे ढेरों ग़म, फिर भी नहीं है आखें नाम सुनाकर वर्तमान हालात का बयान किया। शाइस्ता सना की ग़ज़ल मेरी जुल्फों को कभी शाम नहीं लिखता है, और इन आखों को वो जाम नहीं लिखता है सुनाकर खूब तालियां बटोरी। हास्य कवि बिहारी लाल अंबर, अखिलेश द्विवेदी, विकास बौखला ने सत्ता शासन और प्रशासन पर जमकर व्यंग बाण चलाए। विभा शुक्ला ने मेरे महबूब मुझे ऐसी निशानी दे दे, दिल में ठहरे हुए जज्बों को रवानी दे दे सुनाकर लोगों का मन मोह लिया। इसके अलावा पूनम श्रीवास्तव, आराधना शुक्ला, अली बाराबंकवी, मयकश आजमी और फजीहत गहमरी ने अपनी रचनाओं को पेश किया कर लोगों की वाहवाही लूटी ।
आयोजक खुर्शीद अनवर खान ने बताया कि कार्यक्रम हमारी साझी तहजीब की विरासत के जिंदा रखने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में शंकर कैमूरी ने नात और अज्म शाकरी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करके एक दूसरे के धर्म का सम्मान करने का बड़ा संदेश दिया।
बतौर मुख्य अतिथि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने आयोजन के लिए आयोजकों को शुक्रिया कहा। प्रस्तुति देने वाले कवियों शायरों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन हमारे सामाजिक तानेबाने को मजबूत करने में सहायक सिद्ध होते हैं।
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