माफ़िया का बदलता स्वरूप 36
---------------------------------------
- बीती 31 जनवरी को जिन दो सराफा कारोबारियों के यहां आईटी के छापे पड़े उनमें से एक का सभी एकाउंट सीज, 30 करोड़ से अधिक रकम जाम।
- दूसरे के निजी सुरक्षा कर्मियों ने एक सिपाही को बीते रविवार की रात पीट दिया, पुलिस ने सीसीटीवी की फुटेज के आधार पर मारपीट आदि धाराओं में मुकदमा कर चार को हिरासत में ले लिया। इसे कहते हैं दबंग व्यापारी, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, सिफारिश में दो दलों के माननीय प्रत्याशी भी पहुंचे, एक को थाने में मिली इंट्री, दूसरे को रोक दिया।
---------------------------------------
कैलाश सिंह
वाराणसी। पूर्वांचल के जौनपुर जनपद में माफ़िया की भरमार हो चली है। सरकारी, गैर सरकारी ज़मीन कब्जा करने वाले कथित लक्ष्मीपति बड़े माफ़िया का संरक्षण हफ्ते के बलपर लेकर आम जनमानस को लूटने, उनकी ज़मीने कब्जा करने से जहां बाज़ नहीं आते वहीं बड़े अफसरों को पैसे के बलपर पटाकर छोटे कर्मचारियों को पीटने में जरा भी नहीं हिचकते। बानगी देखिए,,
पिछले एपिशोड में जिस कारोबारी द्वारा शहर के सिपाह बाज़ार में अरबों की ज़मीन कौड़ियों में कब्ज़ा करने और सीएम सरीखी सुरक्षा कर्मी रखता है, उन्हीं सुरक्षा कर्मियों द्वारा रविवार 20 फरवरी की रात आठ बजे शहर के वाजिदपुर चौराहे पर स्थित कथित लग्जरी हेयर कटिंग सैलून में एक सिपाही को इसलिए पीट दिया क्योंकि उनके साहब का भाई बाल कटाने आ गया और नम्बर सीरीज में सिपाही पहले था। हैरत इस बात की है कि ये सुरक्षाकर्मी असलहों का नंगा प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि प्रदेश में विस चुनाव के चलते आचार संहिता लागू है। इनके मालिक के पैसे की ताकत देखिए कि इनके असलहे तक प्रशासन जमा नहीं करा सका। सिपाही को पीटने के दौरान का सीसीटीवी फुटेज में असलहों का नग्न प्रदर्शन देखिए। इतना ही नहीं इनके पैसे की ताकत के आगे नतमस्तक दो माननीय भी सन्डे की देर रात तक थाने में इन्हें छुड़ाने को जमे रहे। इनमें सत्ताधारी दल के कथित घोटालेबाज माननीय को तो मौका पुलिस ने दिया लेकिन विपक्षी को बाहर ही रोक दिया। पीड़ित सिपाही ने अपने आका से कहाकि या तो पीटने वालों पर मुकदमा हो या मुझे ही गोली मार दो तब जाकर यह कार्रवाई हुई। और थाने के भीतर जाने वाले कथित माननीय के वोट, नोट की मंशा फेल हो गई, क्योंकि मुकदमा लिखा जा चुका था। ध्यान रहे यही वह मौका होता है जब पुलिस-प्रशासन बिना दबाव के काम कर सकता है। ये वही माननीय हैं जो झील की ज़मीन कब्जा करने वालों की जेब पर पंजा गड़ाए रहे।
अब सुनिए बड़े जगलर कारोबारी का हाल। आईटी ने छापेमारी के बाद जो कागज़ात कब्जे में लिए थे उनमें 30 करोड़ से अधिक रकम का डिक्लेरेशन भी नहीं था। इसके भी सराफा के अलावा बहुतेरे धंधे हैं। यह मुन्ना बजरंगी को करोड़ों में हफ्ता देता था। उसके मारे जाने के बाद जेल में बंद बजरंगी के आका के दूसरे चेलों को हफ्ता देता है। वह चेले बदली सत्ता की खोल ओढ़ने में माहिर हैं। जिन्हें समूचा जनपद जानता है। क्रमशः
0 Comments