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मास्टर प्लान दफ्तर के सामने वाराणसी-लखनऊ हाइवे पर रात में गाड़ियों में भू-माफिया और विभागीय लोगों से होता है सौदा।Don News Express

माफ़िया का बदलता स्वरूप 27
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- मास्टर प्लान दफ्तर के सामने वाराणसी-लखनऊ हाइवे पर रात में गाड़ियों में भू-माफिया और विभागीय लोगों से होता है सौदा।
- नोटिस पाने वाले लोगों में तमाम के नक्शे फर्जी, डेढ़ दशक पूर्व एक अधिकारी के कार्यकाल में खूब हुआ खेल, वह अफ़सर प्रोन्नति के बाद डेढ़ साल था निलंबित।
- झील में नए जलजीव मिले जिन्होंने सड़क के नीचे तक बंकर, कमरे और सुरंग बनाए थे, फोर लेन निर्माण के दौरान खुलने लगी है पोल।
--------///----------------------------(कैलाश सिंह की फेसबुक वॉल से)
वाराणसी। जौनपुर जिले के मुख्यालय का प्राइम लोकेशन बन चुके वजिदपुर, जेसीज चौराहे के बीच से गोरखपुर- इलाहाबाद( प्रयागराज) फोर लेन निर्माण के लिए जब तोड़फोड़ होने लगी तब यहां टू लेन सड़क के नीचे तक बंकर, कमरे, भुईँधरा मकान, दुकान, गोडाउन देखकर अचंभा इस बात का हो रहा है कि ये पीडब्ल्यूडी की सड़क को भी तलहटी से कब्जा किए लोग केवल भू- माफिया नहीं हो सकते। ये तो कबरबिज्जू, शाही, नेवला आदि हो सकते हैं। क्योंकि यहां अफगानिस्तान जैसा युद्ध तो नहीं चल रहा जिसके लिए बंकर बनाया गया था। वर्षों से इसी सड़क पर भारी वाहन गुजरते रहे लेकिन सड़क नहीं धंसी। इनकी मजबूती के यही प्रमाण है। इन्हें नोटिस मिली है पार्क, ग्रीनलैंड और खुले क्षेत्र में निर्माण की। नक्शा भी तमाम के नहीं पास हैं, जो भू-माफ़िया प्रशासन के सामने नक्शा लहरा रहे उनका काम तो डेढ़ दशक पूर्व तैनाती के दौरान एक अफसर ने लाखों वसूलकर किया था। यदि उनके नक्शे सही हैं तो नोटिस देने वाला वर्तमान प्रशासन फर्जी काम कर रहा। अब दोनों में से कोई तो गलत है। इसका फैसला तो डीएम ही करेंगे लेकिन जो पूर्ववर्ती अफ़सर यहां चरस, अफ़ीम की खेती करके प्रोन्नति पाने के बाद प्रदेश के एक जिले में बड़े घपले में डेढ़ साल से निलंबित रहा, अब इसी हफ्ते के भीतर बहाल हुआ है और नई तैनाती का इंतजार कर रहा है। ऐसे अफ़सर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार के नवरत्नों में थे। कब्जे भी उसी दौरान खूब हुए।
खैर अब आइए जिले के मास्टर प्लान विभाग को देखिए। यहां के लोगों का भोजन, पानी नक्शों की फाइलें होती हैं। ये फाइलें ज़मीन के नीचे,ऊपर भी फल देती हैं। अब कौन सा फल खाना है और कौन सा नहीं, यह उन्हें ही निर्धारित करना होता है। इधर बीच नया काम ये शुरू हुआ है कि हाइवे पर दफ्तर के सामने गाड़ियों में नक्शे के लिए सौदेबाजी होती है वह भी रात में।   दूसरी तरफ झील में काबिज एनाकोंडा और मगरमच्छ भवनों के निर्माण और ज़मीन कब्जा का कार्य निरन्तर जारी रखते हुए शासन-प्रशासन को चैलेंज कर रहे वह भी सीना तानकर। ये अपनी दुकानों के बोर्ड भी बड़े करने से नहीं चूक रहे। हालांकि 1600 भू-माफिया में से तमाम कम्पाउंड फीस जमा करके वैध नक्शा भी बनवाने लगे हैं। असली नक्शे के नाम पर राजस्व के साथ विभागीय लोगों की जेबें भी गरम हो रही हैं। ये तस्वीर भी झील के बंकरों के पास की है। इसे प्रतीक स्वरूप आमजन को देखने, समझने को दिया गया है। क्रमशः

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