Recent Tube

header ads

सर सैयद के बाद इतिहास में दूसरा नाम मौलाना डॉ. कल्बे सादिक़ साहब का होगा ।Don News Express

जौनपुर। रविवार की रात शहर में हकीमे उम्मत मौलाना डॉ. कल्बे सादिक़ उपाध्यक्ष ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याद में ताज़ियती जलसा व मजलिस ए तरहीम (शोक सभा) कल्लू मरहूम के इमामबाड़ा में आयोजित हुई। जिसकी शुरुआत शम्सी ने कुरानख्वानी से किया। अजीम नक़वी ने  तिलावत किया। मौलाना दिलशाद आब्दी ने हदीस-ए-किसा पढ़ा। गौहर ज़ैदी, एहतेशाम जौनपुरी, मुंतजीर जौनपुरी ने  ताज़ियती नज़्म पेश किया। इस जलसे में सभी धर्म व जाति के लोगों ने अंतरास्ट्रीय मौलाना डॉ. कल्बे सादिक़ के जीवन पर अपने प्रकाश डाला और अपनी—अपनी श्रद्धांजलि अर्पित किया। इस सभा में उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए शहर के इमामे जुमा मौलाना महफूज़ उल हसन खान, मौलाना सफदर हुसैन जैदी, मौलाना अनवार अहमद कासमी, डॉ. अबू अकरम, इंद्रभान सिंह इंदु, डॉ. अलमदार नज़र, नजमुल हसन नजमी, मौलाना मेराज हैदर, मौलाना वसी मोहम्मद, मौलाना आदिल मंजूर, मौलाना हसनैन शान, अव्वल आज़मी, जावेद हबीब, असलम नकवी, चंदन साहब, राशिद रन्नो वाले ने उनकी देश सेवा को जोड़कर इंसानियत और मानवता एवं शिक्षा स्वास्थ्य पर किये गई कार्यों पर प्रकाश डाला।
%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%258C%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%25A1%25E0%25A5%2589.%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AC%25E0%25A5%2587%2B%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580%2B%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%2B%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582%2B%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2586%2B%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BF%2B%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%2B%2B%2523NayaSaberaNetwork%2B%25281%2529


मौलाना हसन अकबर ने कहा कि कौन कहता है डॉक्टर कल्बे सादिक़ मर गए अगर यूनिटी कॉलेज जिंदा है तो डॉ सादिक़ जिंदा हैं। अगर एरा मेडिकल जिंदा है तो कल्बे सादिक़ जिंदा हैं। टीएमटी जिंदा है तो कल्बे सादिक़ जिंदा हैं। उनके द्वारा चलाए गए सभी नेक काम हो रहे हैं तो सादिक़ साहब जिंदा हैं।
%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%258C%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%25A1%25E0%25A5%2589.%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AC%25E0%25A5%2587%2B%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580%2B%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%2B%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582%2B%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2586%2B%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BF%2B%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%2B%2B%2523NayaSaberaNetwork%2B%25282%2529

इसी कड़ी में इंद्रभान इंदू सिंह ने भी कहा कि डॉ. सादिक़ साहब ने हिंदू मुसलमान शिया सुन्नी भाईचारा आपस में मेलजोल के लिए बहुत काम किया और उनके नेक अख़लाक़ की भी प्रशंसा की। मौलाना सफदर ज़ैदी साहब ने बताया किस तरीके से उनके द्वारा जौनपुर में गरीब बच्चों की पढ़ाई का पूरा जिम्मा डॉ. कल्बे सादिक साहब ने अपने टीएमटी के माध्यम से ले रखा है। 

%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%258C%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A8%25E0%25A4%25BE%2B%25E0%25A4%25A1%25E0%25A5%2589.%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B2%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AC%25E0%25A5%2587%2B%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%2595%2B%25E0%25A4%2595%25E0%25A5%2580%2B%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A6%2B%25E0%25A4%25AE%25E0%25A5%2587%25E0%25A4%2582%2B%25E0%25A4%25B9%25E0%25A5%2581%25E0%25A4%2586%2B%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25BC%25E0%25A4%25BF%25E0%25A4%25AF%25E0%25A4%25A4%25E0%25A4%25BF%2B%25E0%25A4%259C%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25B8%25E0%25A4%25BE%2B%2B%2523NayaSaberaNetwork%2B%25283%2529

मौलाना आदिल ने कहा कि डॉक्टर साहब को सच्ची श्रद्धांजलि तब अर्पित होगी अगर हम अपनी मस्जिद और इमामबारगाह को भी इल्म फैलाने के लिए इस्तेमाल करें और वहां से आपसी भाईचारे और इंसानियत का पैगाम आम करें। राशिद रन्नो वाले ने कहा कि डॉक्टर कल्बे सादिक़ इस एशियाई महाद्वीप के सबसे बड़े अल्पसंख्यक के शुभचिंतक थे। इतिहास में सर सैयद के बाद किसी का किसी नाम लिखा जाएगा तो वह डॉक्टर कल्बे सादिक़ साहब का लिखा जाएगा।

जलसे के फौरन बाद आली जनाब मौलाना मोहम्मद रज़ा ख़ाँ साहब रन्नवी ने मजलिस पढ़ी जिसमें मसाएबे इमामे हुसैन सुनकर लोगों की आंखें छलक उठी। अंत में मुल्क में अमन चैन शांति की दुआ करते हुए जल्से को खत्म किया गया। 

जलसे की निगरानी मौलाना हसन अकबर खा साहब, संचालन मेंहदी रज़ा एडवोकेट और जलसे के कन्वीनर गौहर ज़ैदी सोज़ख़्वाँ, राशिद रन्नो वाले, मो. बिलाल व ताबिश के साथ मुस्तफा भाई, निखिलेश सिंह, हसनैन कमर, सेराज खान, काजिम खान, संजर, एडवोकेट ज़रग़ाम, आज़म, जोहर, शोएब भाई, तहसीन शाहिद, बादशाह, अबू तालिब, मुन्ना भाई, सूरज साहू, विनय उपाध्याय, आनंद अग्रहरि, सोनू खान, शारिका, मास्टर मोहम्मद रजा, मास्टर साकिर वास्ती, सोनू व दीगर मोमिनीने जौनपुर मौजूद रहे।

Post a Comment

0 Comments