जौनपुर। अगर धरती का भगवान कहा जाने वाला चिकित्सक ही संवेदन शून्य हो जाए तो फिर किससे उम्मीद करे मरीज व तीमारदार। ऐसी स्तब्ध करने वाली घटना क्षेत्र के औरा कोट गांव में हुई। मुंह में कंचा फंसे मासूम को गोद में लेकर इलाज के लिए मां डाक्टरों के पास गिड़गिड़ाती रही लेकिन डाक्टरों का दिल नहीं पसीजा। आधे घंटे तक बच्चे को स्वास्थ्य केंद्र पर इलाज नहीं मिल सका। आखिरकार मड़ियाहूं ले जाते समय रास्ते में मासूम ने तड़प कर दम तोड़ दिया।
मंगलवार को दोपहर बाद लगभग साढ़े तीन बजे गांव निवासी शिव कुमार यादव का पुत्र प्रेम (4) कंचे (कांच की गोली) से खेल रहा था। थोड़ी देर में वह किसी बात पर रोने लगा तो कामकाज में लगे स्वजन उसे चुप कराने के लिए मोबाइल फोन दे दिए। बच्चा बेड पर लेटकर कार्टून देखने लगा। इसी दौरान उसने कंचा मुंह में डाल लिया जो उसके गले में फंस गई। इससे उसे तेज खांसी आने लगी। वह किसी तरह अपनी मां नीलम तक पहुंचकर मुंह में कंचा फंसने की बात बताई। यह बात सुनते ही स्वजनों के होश उड़ गए। वे उसको लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां डाक्टरों ने मासूम को देखा तक नहीं। मिन्नतों के बाद भी डाक्टरों के न देखने पर घरवाले एक-एक कर तीन निजी डाक्टरों के पास गए लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए। बदहवास स्वजन प्रेम को लेकर मड़ियाहूं अस्पताल के लिए चले, लेकिन रास्ते में ही उसने तड़प कर दम तोड़ दिया। पिता का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर यदि समय रहते उसके बच्चे को देख लिया गया होता तो उसके बच्चे की जान बच जाती। मां बेसुध है और पिता का रो-रोकर बुरा हाल। मृत मासूम भाइयों में बड़ा था। एक छोटा भाई अभी छह माह का है। इस तरह का कोई मामला संज्ञान में नहीं आया। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की हरसंभव इलाज की कोशिश की जाती है।
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