गोंडा की अनामिका शुक्ला की तर्ज पर जौनपुर में भी एक मामला सामने आया है। यहां की प्रीति यादव के प्रमाण पत्र पर जौनपुर और आजमगढ़ के कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में फर्जी शिक्षिकाएं काम कर रही थी वही असली प्रीति यादव अब भी बेरोजगार है।
प्रेरणा पोर्टल और दीक्षा एप पर अपलोड किए गए डाटा के परीक्षण में प्रीति यादव के नाम पर दो जगहों पर नौकरी करने का यह मामला सामने आया। दोनों शिक्षिकाओं ने एक ही आधार नंबर अपलोड किया है। दोनों जिलों में जांच की गई तो प्रमाण पत्र एक ही निकले। एक फर्जी शिक्षिका केजीबीवी मुफ्तीगंज जौनपुर में पूर्णकालिक शिक्षिका और दूसरी केजीबीवी पवई, आजमगढ़ में वार्डन के पद पर तैनात थी। दोनों के पते अलग-अलग थे। जौनपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने मूल शैक्षिक, निवास व पहचान प्रमाण पत्र से मिलान किया तो सामने आया कि उन्होंने फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी हासिल की है । बीएसए ने एफ आई आर दर्ज कराने और वेतन की रिकवरी का आदेश दे दिया हैवही जौनपुर के सिकरारा की रहने वाली मूल प्रमाणपत्रों वाली प्रीति यादव आज भी बेरोजगार है। प्रीति ने जैसे ही समाचार पत्रों में अपना और अपने स्कूल का नाम देखा तो उसने बीएसए को इसकी जानकारी दी ।
अनामिका शुक्ला के प्रकरण के बाद जिस तरह से शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का मामला सामने आ रहा है वो चौकाने वाला है । जांच सही तरीके से चलती रही तो अभी और भी जिले में फर्जीवाड़े का खुलासा होना तय है।
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