श्रेणीबद्ध हो गया है पत्रकारों का गिरोह
----------------------------------------------
कैलाश सिंह
वाराणसी। राज्य स्तरीय वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर समाज के किसी भी तबके या प्रोफेशन से जुड़े लोगों द्वारा किया जा रहा भ्रष्ट कार्य बर्दाश्त नहीं कर पाते। लिहाजा सोशल मीडिया पर अपने पोर्टल दोलत्ती डॉट कॉम पर ऐसे भृष्टाचारियों को महाभारत काल जैसे युद्ध भूमि पर खींचकर लतियाने से गुरेज नहीं करते। पूर्व में हम दोनों अलग संस्थानों में काम करते थे तब गज़ब की जुगलबंदी चलती थी लेकिन हम लोग बेलगाम लिखने की बजाय तथ्यपरक होते थे। रिपोर्टर की प्रेषित खबर को तस्दीक किए बगैर छपने नहीं देते थे। आज वर्षों से लखनऊ में केंद्रित होकर वह समूचे प्रदेश पर नज़र रखे हैं लेकिन इनके भी सूत्र कई बार अपना मतलब साधने को इस्तेमाल करने से बाज़ नहीं आते, फिर भी वह चूक से बचने को क्रास चेक करना नहीं भूलते। उनकी खबर बिना ब्रेक वाली गाड़ी की तरह बिजली बनकर तीन अखबारों के संवाद सूत्रों, ब्यूरो प्रभारी व सम्पादक पर गिरी है। यह घटना साबित करती है कि ऐसे रिपोर्टरों के लिए किसी को मारना कितना आसान है। इन्हें तो खण्डन छापना चाहिए माफीनामे के साथ।
अब आते हैं श्रेणीबद्ध पत्रकार गिरोह के सवाल पर। अकेले जौनपुर तीन सौ से अधिक पत्रकार मान्यता व गैर मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा यू ट्यूब चैनल पर अपना पोर्टल बनाकर लोगों को लूटने वाले तमाम असंगठित हैं। इतना ही नही, व्हाट्सएप वाले भी खुद को पत्रकार मानकर कलेक्ट्री व पुलिस आफिस के इर्दगिर्द मक्खियों सरीखे भिनभिनाते हैं। एक बानगी देखिए, गौराबादशाहपुर इलाके में मेरे परिचित व शिक्षक नेता रमेश सिंह से छह माह पूर्व एक पोर्टल वाले ने विज्ञापन के नाम पर 10 हजार रंगदारी मांगी। कहाकि अपने भाई के विद्यालय की ओर से दीजिए अन्यथा बड़े घपले हैं, छप जाएंगे। उन्होंने मना कर दिया और सख्ती बरती तो उसकी हवा निकल गई। दूसरी बानगी हाल के दिनों की है। एक भू माफिया कथित व्यवसायी, पत्रकार बनकर गिरोह के दो तीन बन्दों को लेकर चर्मरोग विशेषज्ञ डॉ जी एस यादव के यहां पिल पड़े। एक मरीज को मुफ्त में बिना नम्बर के दिखाने को लेकर मारधाड़, गली गलौच तक कर डाले। ऐसा नहीं है कि डॉक्टर दूध के धुले हैं, कम से कम धरती के भगवान की पदवी तो खो चुके हैं। अधिकतर दिन दहाड़े डकैती में संलग्न हैं। इन्हीं में से कुछ कथित डकैत गिरोहबंद पत्रकारों के सामने कुछ टुकड़े फेंककर प्रतिद्वंद्वी चिकित्सकों पर कथित मीडिया मैन से हमले कराते हैं। इसकी बानगी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( आईएमए) में मिलेगी। इस संगठन को मजबूती प्रदान करने वाले डॉ एन के सिंह ने अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ी तो चुनाव की नौबत आ गई। एक जगलर मेम्बर लगातार प्रयास करता रहा ताकि कुर्सी मिल जाए तो वह अपने अस्पताल और ब्लडबैंक को और बेहतर बना सके। जबकि यह अपने यहां गैस के मरीज से एक दिन में 12 हजार तक वसूल लिया हार्ट डिजीज बताकर।
जौनपुर विकास प्राधिकरण भवन बनाने के नाम पर प्रशासन ने लाखों वसूले उन लोगों से जिनके भवन बगैर नक्शे के बने। ऐसा उन लोगों के साथ है जो करोड़ो देकर भी ज़मीन की नवैयत नहीं बदलवा सके। इनकी ज़मीनों पर प्रशासन ने ताबड़तोड़ नोटिस भी जारी की थीं। इनकी संख्या दो हजार के पार है। नवैयत बदलवाने में वह नेता फेल हो गया जिसके साथ सत्ताधारी दल ने भी खेल कर दिया। हालांकि उसने इस काम के बदले चांदी काट ली थी। ऐसे ही तमाम जगलरों की तरह कई सराफा कारोबारी भी हैं जो इस समय 18 रुपये की लागत वाले चांदी के सिक्के ढाल रहे हैं। दिवाली नज़दीक है और इन्हें पता है धनपशु इसी सिक्के से देवी लक्ष्मी को पूजेंगे। वापसी या बेचने का सवाल ही नहीं तो कैसे पता लगेगा कि सिक्का नकली है। जिनमे से दो वही जगलर हैं जिनके यहां इसी साल 31 जनवरी को आईटी के छापे पड़े थे। ये सब भी प्रशासनिक अफसरों व गिरोहबंद पत्रकारों को सटाकर गेम खेल रहे हैं। इनके पास हॉलमार्क की मशीन भी हैं।मेरे अगले एपिशोड में ऐसे माफिया पर विस्तारपूर्वक रिपोर्ट होगी। क्रमशः,,,,,
दुर्घटना में 3 रिपोर्टरों की मौत, ब्यूरोचीफ घायल, संपादक विक्षिप्त"
0 Comments