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"हे भगवान"अब ऐसी परीक्षा किसी और मां से न लेना"जब घाट पर एक मां ने अपने जवान बेटे को दी मुखाग्निी।Don News Express




हे भगवान अब ऐसी परीक्षा किसी और मां से न लेना
जब घाट पर एक मां ने अपने जवान बेटे को दी मुखाग्निी
किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य अंजू पाठक के बेटे हिमांशु का निधन
सात वर्ष पूर्व पति की कर दी गई थी हत्या

(सै.हसनैन कमर "दीपू")
जौनपुर। कहते हैं यह दुनिया एक परीक्षा स्थलीय है यहां जो भी आया है उसे किसी न किसी रूप से परीक्षा से गुजरना है लेकिन ईश्वर की लीलाएं भी अजीब हैं कभी कभी ऐसी परीक्षाएं ले लेता है जिसे बर्दाश्त करने की क्षमता किसी के पास नहीं होती और परीक्षा के ऐसे दृश्य को देखकर पत्थर दिल आंखों से भी नीर की धारा बह जाती है। ऐसा ही परीक्षा का मर्माहत दृश्य सोमवार को जिले के रामघाट पर देखने को मिला जिसे सहन कर पाना शायद आसान नहीं था यही वजह थी कि इस दृश्य को जिसने भी देखा उसके आंखे डबडबा गर्इं। जब एक जवान बेटे के शव को कंधा देने के साथ एक मां ने अपने जिगर के टुकड़े को मुखाग्नि दी। दिल को दहला देने वाली यह घटना नगर के मचरहट्टा की है। शायद इस मां ने ऐसा स्वपन में भी नहीं सोचा होगा कि नौ माह कोख में रखकर कदम ब कदम मुसीबतें उठाते हुए उसे जन्म दिया और बच्चे की किलकारियां गूंजते ही राहत की सांस ली। ममता के आंचल से ढंक कर जिसका लालन पालन बड़े लाड प्यार से किया और पाल पोसकर उसे जवानी की दहलीज तक ला खड़ा किया और दिल में यह अरमान पाल रखा कि एक दिन बेटा न सिर्फ बैसाखी बनेगा बल्कि उसे अपने कांधे पर उठा कर शमशान घाट तक ले जायेगा लेकिन मां के स्वपन तो चकनाचूर हुए ही उसे खुद उस बेटे को मुखाग्नि देनी पड़ गई जिसे लेकर मां ने न जाने कितने अरमान पाल रखे थे। 
विदित हो कि नगर के मचरहट्टा निवासी किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य अंजू पाठक के एकलौते नवजान पुत्र हिमांशु पाठक का सोमवार की सुबह बीएचयू में उपचार के दौरान निधन हो गया। उसे कई माह से लीवर की बीमारी से जूझना पड़ रहा था। बताते हैं कि करीब सात वर्ष पूर्व अंजू पाठक के पति रज्जन पाठक की हत्या हो गई थी। घटना में घर में लूटपाट भी की गई थी लेकिन पुलिस जांच में नौकर द्वारा हत्या किये जाने का खुलासा किया गया था। पिता की हत्या के बाद से बेटा काफी गुमसुम रहता था हलांकि अंजू ने खुद को संभाला और बेटे को मां के साथ बाप का प्यार भी देने में कोई कमी नहीं की। शायद अंजू बेटे को संभाल कर अपने बुढ़ापे की बैसाखी बनाना चाहती थीं। बेटे की परवरिश में क ोई कमी नहीं आने दी और कुछ वर्ष पूर्व धूमधाम से विवाह कर बहु भी घर ले आई और एक पौत्री का भी जन्म हुआ। पौत्री के जन्म के साथ परिवार में जैसे खुशियों का दौर लौट आया और सबकुछ ठीक ठाक चलने लगा लेकिन इस बात का किसी को अंदाजा नहीं था कि जल्द ही बेटी अनाथ, पत्नी विधवा और मां बे संतान होने वाली है। इतना ही नहीं जिस मां ने बेटे को बुढ़ापे का सहारा समझा था और समय बीतने के साथ बेटे के बैसाखी बनने और मां की अर्थी को कंधा देने का अरमान पाल रखा था वोह न सिर्फ पलभर में टूटा बल्कि इन सभी सपनो के ठीक उलट लिखी गई प्रकृति की कहानी सामने आयी और सोमवार को एक ऐसा मंजर देखने को मिला जिसे न देखने की लोग दुआएं मंागते दिखाई दिये जब एक मां बेटे की अर्थी को कंधा देते घर से निकली और शमशान पर पहुंचकर न जाने किस जिगर उसी जवान बेटे के शव को मुखाग्नि दी। घाट पर जिस किसी ने भी इस मंजर को देखा उसकी आंखे अनायास ही डबडबा गर्इं। कुछ लोग मुखर भी हुए तो उन्होंने सिर्फ इतनी प्रार्थना की कि हे भगवान किसी मां से ऐसी परीक्षा न लेना जैसा आज एक मां से ले रहा है।

हिमांशु पाठक नहीं रहे, मां अंजू ने दी मुखाग्नि

जौनपुर। वाराणसी से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक समाचार पत्र के जिला अभिकर्ता एवं किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य अंजू पाठक के पुत्र हिमांशु पाठक का सोमवार को निधन हो गया। नगर के मछरहट्टा निवासी लगभग 37 वर्षीय श्री पाठक पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे। चिकित्सक की लापरवाही से वह लीवर की समस्या से जूझ रहे थे। इधर कई दिनों से बीएचयू में भर्ती कराये गये थे जहां आज उन्होंने अंतिम सांस ली। 5 वर्ष पहले उनकी शादी हुई थी जिनको मात्र एक पुत्री है। वहीं उनके पिता रज्जन पाठक की कई सालों पहले घर में ही हत्या कर दी गयी। उनकी एक बहन है जिसकी इस वर्ष फरवरी माह में शादी हो गयी। उनका अंतिम संस्कार नगर से सटे राम घाट पर हुआ जहां मुखाग्नि उनकी माता अंजू पाठक ने दिया। यह दृश्य देखकर उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम हो गयीं।

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