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आखिर कब होगी सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा करने वाले बड़े कारोबारीयो पर कार्यवाही।Don News Express

माफ़िया का बदलता स्वरूप 37
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-इस एपिशोड में लगी तस्वीर इस बात की गवाही दे रही है की शिक्षा विभाग के कैम्पस में गोल घेरे वाली ज़मीन को जगलर सराफा कारोबारी ने प्रशासन की ही सरपरस्ती में बाउंड्री बनाकर कब्जा की है।
- मछलीशहर में माननीय बनने की फिराक में लगे एक कथित चिकित्सक ने नाले पर बाउंड्री बना ली जिसे प्रशासन ने नोटिस देने के साथ गिराने के लिए बुलडोज़र भी खड़ा कर रखा है और जौनपुर मुख्यालय पर सद्भावना पुल के पास एक सराफा की दुकान ढहा दी गई।
-शासन की मंशा के अनुरूप चलने वाले ब्यूरोक्रेट्स खुद से कोई रिस्क नहीं लेते, योगी आदित्यनाथ की दोबारा सरकार बनते ही इस चुनाव में ब्रांड बना बुलडोज़र अब माफ़िया को पसीने  छुड़ाते दिख रहा।
- जौनपुर में डायनासोर कई तरह की सरकारी जमीन, खुले पार्क, झील और नदी किनारे, जियस, बंजर, नजूल आदि ज़मीनों पर वर्षों से काबिज़ भू-माफिया काला धन देकर बचते रहे।
- इसके प्रमाण भी हैं जैसे जेसीज से ओलन्दगंज रोड पर एक दिवंगत माननीय ने झील से निकले नाले पर रैन बसेरा बनवाया और फिर उसे अपना घर घोषित कर दिया, इस परंपरा को उनका बिगड़ैल पुत्र कायम किए है, वह भी माननीय हो गया लेकिन खेत खलिहान की आदतें बरकरार हैं।
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कैलाश सिंह
वाराणसी। जौनपुर जनपद मुख्यालय के प्राइम लोकेशन वाजिदपुर से गोरखपुर -प्रयागराज को फोरलेन हाइवे गुजरा है। इसी के पश्चिमी छोर पर जिले के विकास पुरुष रहे पूर्व सांसद कमला प्रसाद सिंह की ड्रीम झील थोड़े से हिस्से में बची है बाकी पर विभिन्न व्यवसाय से जुड़े लोग पाटकर घर, दुआर दुकानों के लिए भवन व बाउंड्री कर रखी है। उनके जबड़े खुले हैं और वह ज़मीन को तेजी से निगल रहे हैं
यह भला हो वर्तमान डीएम मनीष कुमार वर्मा का जिन्होंने जांच कराकर लगभग दो हजार लोगों को नोटिस दिलाया सम्बंधित विभागों के जरिए, फर्जी मैप वालों से वसूली भी हुई लेकिन सरकारी तिजोरी में कम और मातहतों के झोलों में उसका फ्लो अधिक रहा। विधानसभा चुनाव के चलते यह अभियान रुका था और चुनाव लड़ने के बहाने एक माननीय ने भी भू-माफिया को बचाने के नाम पर मोटी रकम वसूली थी। वह इस बार केवल योगी, मोदी के नाम पर जीत गए। यदि 25 मार्च को मंत्री बन गए तो समूचे प्रदेश का उनके पोर्टफोलियो वाला विभाग का लुटना तय है।आमजन उन्हें आज भी गाली दे रहा है।
खैर उम्मीद है योगी जी का बुलडोजर तमाम भू-माफ़िया पर जरूर चलेगा ऐसा आमजन मानता है। इन डायनासोर में तमाम तो मुन्ना बजरंगी को हफ्ता देकर ज़मीन निगलते रहे। मुन्ना के मरते ही सभी उसके आका मुख्तार अंसारी की तरफ शिफ्ट हो गए। ऐसे लोगों को जनपद के तमाम लोग जानते हैं। सबको इंतज़ार है इनपर बुलडोज़र चलने का।
आज़ जिले में दो जगह बुलडोजर सक्रिय हुआ। शहर के सद्भावना पुल के मोड़ पर एक सराफा कारोबारी के भवन पर बुलडोज़र चला तो सम्बंधित संगठन को इस बात की नाराजगी हुई कि व्यापारी का पक्ष सुनने की जहमत प्रशासन ने नहीं उठाई और न ही उसे सम्भलने का मौका दिया। जबकि सात साल पहले एक सराफा कारोबारी ने दूसरी सरकार में तब तैनात रहे अफ़सर को लाखों करोड़ों देकर अरबों की ज़मीन कौड़ियों के मोल कब्जा कर ली। जिसकी ज़मीन है वह बेचारा ऑटो चलाकर परिवार पाल रहा है। यह सराफा दुकानदार इतने पर ही नहीं रुका उसने शिक्षा विभाग की बाउंड्री में घुसकर खुद की बाउंड्री बना ली, उसीकी तस्वीर लगी है। सरपरस्ती उसी अधिकारी की रही जो तत्कालीन सरकार का दुलारा था। जिन दो दुकानदारों के यहां बीती जनवरी में आईटी के छापे पड़े उन्हीं में से यह एक है। इसी के तथाकथित सुरक्षा कर्मियों जो गुंडों से बढ़कर हैं उन्हीं लोगों ने एक सिपाही को निर्दयता से पीटा था। इसका एक भाई रोज फ्लाइट से मुम्बई आदि शहरों में जाता है। इनके धंधों का लेखाजोखा पिछले एपिशोड में है। आईटी छापे में जो पहला कारोबारी है उसके यहां तो कई बार सीबीआई के भी छापे पड़े। आईटी छापे में करीब 33 करोड़ सीज हुआ था। दरअसल यह भी बजरंगी के जरिये मुख्तार अंसारी गिरोह का असामी रहा है। इसके काले कारनामे अरसे से चलते आ रहे। इसके लड़के भी अय्याशियों में लिप्त हैं। वे भी हफ्ते में तीन दिन महानगरों और दूसरे देशों की सैर करते हैं । दिखावे के लिए वाहनों की एजेंसी आदि हैं लेकिन सोने, चांदी के तस्करों से इनके गहरे नाते हैं। इन दोनों की जमीनों पर अभी तक योगी जी के प्रशासन की नज़र क्यों नहीं पड़ी यह भी बड़ा सवाल है।  क्रमशः

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