माफ़िया का बदलता स्वरूप 34
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- गोमती किनारे का हनुमानघाट बना पूर्वांचल की प्रमुख सराफा मंडी।
-जौनपुर के जिन दो बड़े कारोबारियों के यहां पड़े हैं आयकर के छापे उनके यहां काली कमाई है बेशुमार।
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कैलाश सिंह
वाराणसी। बीती 31 जनवरी की अलसुबह जौनपुर के जिन दो बड़े सराफा कारोबारियों के घरों, प्रतिष्ठानों पर आयकर विभाग के छापे पड़े उनके यहां अभी तक जांच चल रही है। यूं इनमें से बम्पर चोरी तो अधिकतर करते हैं लेकिन इन दोनों में से एक तस्करी का सरदार रहा है। एक दशक पूर्व तक यह एक कथित बड़े ठेकेदार पत्रकार की कार से सोने का बिस्कुट और चांदी की सिल्ली लाया करता था। तब पुलिस प्रशासन को मिलाए रखने का काम वही कथित पत्रकार करता था। बाद में इसने मुख्तार अंसारी के चेले मुन्ना बजरंगी की शागिर्दी हासिल कर अरबों की दौलत बनाई और बजरंगी को करोड़ों में हफ्ता देने लगा, ऐसे ही हफ्ते की रकम मुख्तार अंसारी तक पहुंचती रही। बजरंगी की हत्या के बाद यह जिम्मा कथित सफेदपोश अपना लिए, इनमें एक माननीय भी है। ये सब दिखावे को बहुतेरे धंधे में लगे हैं लेकिन मुख्तार के लिए हफ्ता वसूली की तलवार से चांदी काटते हैं।
दूसरा व्यापारी भी उसी नक्शेकदम पर है। ये सब अब प्लाटिंग, मैरेज लॉन , रियल एस्टेट समेत विभिन्न धंधे अपना लिए हैं। निजी सुरक्षाकर्मी और गाड़ियों की फ्लीट बाहुबलियों के अंदाज़ में रखते हैं। कथित रूप से पुलिस प्रशासन को जरखरीद बना लिए हैं। दांव तो आयकर में भी लगाते हैं लेकिन बार बार पड़ रहे छापे नहीं रोक पा रहे। गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों को इनका गिरोह जमकर लूटता है, यही रकम अन्य व्यवसाय, अय्याशी और अपराधियों के हफ्ते में जाती है। गिलट को ये सोना ऐसा बनाकर बेचते हैं जैसे आंखों से कोई काजल चुरा ले। सामान्य व्यक्ति से ये दबंगई करते हैं। खुद के यहां होने वाली गाहे बगाहे की लूट में ये पूरी रकम या पैसा पुलिस रिपोर्ट में नहीं दिखाते हैं, लेकिन परोक्ष रूप से बरामदगी में प्रतिशत शेयर देकर काम चलाते हैं। इस तरह ये आमजन की नज़र में दया या सहानुभूति के पात्र नहीं रहे।
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