माफ़िया का बदलता स्वरूप 29
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- झील में कब्जा करने वालों के लिए सितम्बर के सितम का रहता है भय।
- यहां कबीलाई अंदाज़ में माफ़िया ने ज़मीन कब्जाई, दीमक की तरह चाट रहे जलकुंभी।
- जिले में ग्राम समाज की ज़मीन पर कॉलेज बनाने वाले शिक्षा माफ़िया ने भू-माफिया को पीछे छोड़ा।
-प्रशासनिक ढिलाई और सुविधा शुल्क की विंडो ने सरकारी ज़मीनों को समेटकर रख दिया।
--------------------------------------(कैलाशनाथ सिंह की फ़ेसबुक वाल से)
जौनपुर। बीते तीन दिन झील के जलजीवों पर भारी गुजरा। सितम्बर के सितम का भय बरकरार है। हथिया नक्षत्र चारो पैर और सूंड़ लहराने को बेताब है। तीन दिन हुई बारिश में जलकुंभी जिस रफ्तार में ऊपर आने लगी उसी रफ्तार में जलजीव नीचे होने लगे। मगरमच्छ और एनाकोंडा गोरखपुर- प्रयागराज हाइवे पर सांस लेने लगे। भैंसा नाला ने जिस झील में नाम पाया उसी में दम तोड़ दिया है। उसे नाथी फहनाने वाले नराधम भी सितम्बर के संभावित सैलाब से सहमे हैं। वैसे सिविल लाइंस में बड़ा नाला दशकों पूर्व विलुप्त हो गया है,उसपर खड़े भवन उसी तरह लहरा रहे हैं जैसे जेसीज चौराहे के पास ओलन्दगंज रोड पार कर गुजरा भैंसा नाला के लिए बनी पुलिया पर ।यहां एक दिवंगत नेता और उसके गिरोह के कई व्यवसायी मकान और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाए हैं। उस नेता ने तो पुलिया पर बने रैन बसेरा को ही आवास में तब्दील कर रखा है। इसी आधार पर कह सकते हैं कि यहां कबीलाई अंदाज़ में कब्जे हुए हैं।
एक कॉलेज की बानगी देखिए- प्रतापगंज में एक कॉलेज दशकों से ग्राम समाज की 0.198 हेक्टेयर भूमि पर संचालित है। दिलचस्प ये है कि ज़मीन भी दूसरे गांव की है। मुकदमे में सदर तहसीलदार ने प्रबंधन को बेदखल आदेश के साथ 50 लाख क्षतिपूर्ती का भी चार्ज लगाया है। आदेश की प्रति सम्बंधित राजस्व निरीक्षक, व राजस्व लेखाकार को भेजी है। आदेश हुए दो महीने गुजर गए अब मुकदमा वादी हाईकोर्ट और जरूरत पड़ी तो सुप्रीमकोर्ट भी जाने की तैयारी में है। इस तरह जौनपुर की सार्वजनिक ज़मीनों को माफ़िया जलेबी बनाकर चाट रहे हैं। सरकारी कारिंदों का क्या जाता है। यदि इसके नाम पर सुविधा शुल्क की विंडो चलती रहे और वे कीमती पान की पगुरी करके तबादला होते रहें तो आने वाले अगलों के लिए भी अतिरिक्त आमदनी का जरिया तो मजबूत रहेगा।
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