माफ़िया का बदलता स्वरूप 16
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-जिस होटल को मिली नोटिस उसकी तस्वीर यहां दिख रही, इसमें एक रिटायर्ड अफ़सर का बेनामी पैसा लगा बताया जाता है।
- साढ़े छह दशक में सरकारी ज़मीन किस तरह लूटी गई यह गवाही कागज़ दे रहे, गनीमत है यह चल सम्पति होती तो चांद पर शिफ्ट हो गई होती।
-इसी झील में काबिज़ एक एनाकोंडा सड़क के पार बीआरपी कॉलेज मैदान को निगलने को फैला दिया है जबड़ा।
जौनपुर। माफ़िया का शीर्षक हर एपिशोड के लिए तय करने का मक़सद यही था कि इसका दायरा बहुरंगी और बड़ा है। लेकिन मंजिल सबकी एक है यानी पैसे की भूख। यह कभी शांत नहीं होती है बल्कि विकराल होकर हवस बन जाती है। झील में माफ़िया रक्तबीज सरीखे फैले हैं। एक होटल मालिक ने लगभग दो एकड़ सरकारी पार्क की ज़मीन कब्जाकर बहुमंजिला कई स्टार वाला होटल, मैरिज हॉल, दो लॉन बना लिया। वह दो दशक पूर्व से झील में सोने की खेती कर रहा है।
इसी तरह झील के उत्तरी छोर तक व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स फलफूल रहे हैं। ये सब जीएसटी या अन्य टैक्स भी धड़ल्ले से चोरी करते हैं। नोटिस तो सबको मिल रही है। झील में खूंखार जलजीव हैं। इनमें एक कथित पत्रकार भी है। इनका भोजन केवल ज़मीन यानी मिट्टी है पर दूसरे की। एक एनाकोंडा ने सड़क के पूर्वी तरफ जबड़ा बीआरपी मैदान पर खोल दिया है। प्रिंसिपल डॉ सुभाष सिंह शहर से बाहर थे तभी एनाकोंडा ने बेनामी तरीका अपनाते हुए कुछ लोगों को आगे करके ज़मीन पर नींव खोद डाली। निर्माण की बारी शुरू हुई तब कॉलेज ट्रस्ट के प्रबंधक, सचिव ने पहुंचकर रोका। कब्जा फ़िलहाल तो रुक गया लेकिन कब तक। ये ज़मीन गिद्ध रूपी भू-माफिया के लिए मरे हुए डांगर (लाश) सरीखी है। ये तो जनपद के लोगों का भाग्य है कि मनीष कुमार वर्मा जैसे डीएम की तैनाती है।क्रमशः
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