(सभी फ़ाइल फोटो जौनपुर)अजय वर्मा जी की फेसबुक वॉल से)उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से पत्रकारिता का अपना सफर शुरू करने वाले, भाई रजा रिजवी के इस जीवन के संघर्षों की दास्तान बहुत लंबी है । आज जिस कामयाबी के शिखर पर वह विराजमान हैं उससे युवा पत्रकारों को आज सबक लेना चाहिए कि, परिश्रम, लगन, निष्ठा और सच्चाई से अपने कलम की ताकत को आप सही दिशा में चलाते हैं तो एक न एक दिन ऊंचाई के मुकाम पर जरूर पहुंचेंगे, कामयाबी आपके कदम चूमेगी। भाई रज़ा रिज़वी पत्रकारों के हितों की सुरक्षा के लिए बनाई गई प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में सदस्य पद के लिए चयनित हुए तो प्रदेश के पत्रकारों में अत्यंत हर्षोउल्लास देखने को मिला। इसके साथ ही इन्हें राष्ट्रीय मुस्लिम मंच का नेशनल कन्वीनर (राष्ट्रीय संयोजक) के पद से भी नवाजा गया है। रजा भाई का व्यवहार आज भी पहले की तरह निश्चल, अपनत्व से परिपूर्ण, सभी पत्रकारों की समस्याओं को निस्वार्थ भाव से दूर करने के लिए तत्पर रहना आज भी वही भाव और निस्वार्थ भावना उनमें दिखाई पड़ती है। प्यार और मोहब्बत से लोगों से मिलना और मुस्कराकर इस्तकबाल करना उनकी शान में शामिल है। शायद यही वजह है कि अपनी जटिल और व्यस्तता पूर्ण दिनचर्या को भी अपनी मेहनत और लगन से वह आसान बना देते हैं। दूसरों की बात सुनने और अपनी बात कहने का जो अंदाज़ उनका है वह प्रशंसनीय है। रजा भाई तर्क वितर्क बड़ी ही कुशलता और संयमता के साथ करते हैं। तार्किकता उनके जीवन की विशेष निधि है इसी निधि के द्वारा वह बड़े-बड़े मुकदमे और समस्याओं को आसानी से हल कर देते हैं। जिससे उनके व्यक्तित्व में और भी निखार आता है ।। उन्होंने टीवी चैनल की दुनिया में एक बड़ा नाम कमाया है बहस किसी भी मुद्दे पर हो लेकिन अगर रजा भाई टीवी पर अपना पक्ष रख रहे हैं तो उसके साथ साथ वह ऐसे तर्क देते हैं कि तमाम दर्शक मंत्रमुग्ध होकर टीवी देखते ही रहते हैं । पत्रकारिता के साथ-साथ अपने नेतृत्व शक्ति का भी रजा भाई ने लोहा मनवाया है। उनकी यह नेतृत्व शक्ति एक दिन उनको एक बड़ा मुकाम हासिल करायेगी। जिस तरह से पत्रकारिता के चलते हुए हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था वही भाव रजा भाई में देखने को मिलता है वही नेतृत्व क्षमता वही बातों का अपनापन और वही व्यवहार कुशलता ।।
आज मैं रजा भाई से एक पत्रकार भाई की समस्या को लेकर मिलने उनके आवास पहुंचा उनके मिलने का अंदाज़ और बात करने का लहजा आज भी वही देखने को मिला जो 30 साल पहले था वही आज भी है ।। उनकी व्यवहार कुशलता में मुझे कोई अन्तर या कमी नजर नहीं आई।। मैं रजा भाई के लिए दुआ करता हूं कि अल्लाह उन्हें और ऊंचे से ऊंचा मुकाम दे।
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